Guru Nanak Sakhi । लड़की से लड़का बनने की साखी । जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी की है आज की साखी के माध्यम से यह समझाने की कोशिश की गई है कि उस मालिक की लीला को कोई कभी समझ नहीं पाया है और ना ही उसकी लीला को उसकी महिमा को समझा जा सकता है वह तो केवल संत महात्मा ही है जो उसके गुणों का विस्तार करते हैं उसके बारे में बताने की कोशिश करते हैं कि वह कैसे कैसे खेल रचता है, आज की ये साखी लड़की से लड़का बनने की है तो आइए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

"नारी से जो पुरष करावे पुरखन ते जो नारी" परमात्मा स्त्री से पुरष और पुरष से स्त्री बना देता है द्रोपद राजे के घर एक कन्या पैदा हुई परंतु राजे ने उसको पुत्र समझकर पाला तो उसका नाम सिखंडी रखा, कुछ समय के बाद जिस समय बड़ा हुआ तो उसके लिए नाता आ गया राजे द्रोपद ने मोड़ा नही, पुत्र करके सिखंडी का विवाह कर दिया जब स्त्री परता दोनों इक्कठे हुए तो लड़की को पता लगा कि जिसके साथ मेरा विवाह हुआ है वह तो पहले ही लड़की है उसने अपने मां बाप को आकर कहा कि जिसको तुमने लड़का समझकर मेरा विवाह किया है वो लडका नही लड़की है उस समय लड़की के पिता ने अपने जवाई सिखंडी के सिर काटने की जोझना बनाई जिस वेले मारने को आया तो सिखंडी दौड़ कर कुबेर के बाग में छिप गया सिखंडी ने बागवान को अपना सारा हाल सुनाया, बागवान को दया आई तो बागवान ने अपना पुरष स्वरूप सिखंडी को दे दिया तो उसका नारी स्वरूप आप ले लिया सिखंडी अपने घर आकर अपनी सुपत्नी को बुलाकर ससुर की प्रसन्नता के साथ रहने लग गया जिस समय कुबेर सैर करने के लिए बगीचे मे आया तो माली आगे से नहीं उठा, कुबेर ने पूछा आज क्या बात है आगे तो हर रोज उठते थे आज नही उठे उस समय माली ने अपना सारा विरतात सुनाया कि मैं आज स्त्री रूप हो गया हूं, कुबेर ने कहा ठीक फिर तुम स्त्री बने रहो और सिखंडी पुरष बना रहे तो इसमें तेरा प्रोपकार है देखो सिखंडी तो नारी से पुरुष हो गया तो बागवान पुरष से नारी हो गया इस प्रकार एक साखी श्री गुरु नानक पातशाह की आती है जिस समय भूमिया चोर चोरी छोड़ कर एक महात्मा बन गया था लोग श्री गुरु नानक देव जी का सच्चा सुचा सिख समझकर इसका पूजन भी करते तो इससे उपदेश भी सुना करते जिस राजे के घर वह चोरी करके धन पदार्थ लूट पाट करके छोड़ आया था उसने सच्चा नेमी जानकर अपना वजीर बनाया था सारी साखी आप जी पहले ही सरवन कर चुके हो इस राजे के संतान नहीं थी राजे ने भाई भूमिया को संगत समेत अरदास करवाई कि मेरे घर लड़का पैदा हो जाए क्योंकि उस समय लड़कियों को बराबर के हक नहीं दिए जाते थे लोक वित्तकरा करते थे इसलिए उसने पुत्र होने की अरदास करवाई थोड़े समय के बाद पुत्र की जगह पुत्री पैदा हो गई लेकिन राजे ने सिदक नहीं हारा उसने पुत्र समझकर ही खुशियां मनाई, तो नाम भी शहजादे वाला रखा तो उसको वस्तर मर्दो वाले ही शुरू से पहनाते गए जब वह बच्चा जवान हुआ तो किसी दूसरे राजे की लड़की के साथ इसकी सगाई हो गई थोड़े समय के बाद बारात चढ़ी उधर दूसरी तरफ किसी चुगलखोर ने चुगली कर दी कि तूं अपनी बेटी राजे के शहजादे साथ नही बल्कि शहजादी के साथ विवाह करने का अनर्थ कर रहा है यह काम आज तक पहले कभी नहीं हुआ यह सुनकर बादशाह बहुत बेचैन हुआ तो उसने अपना मन बनाया कि उसकी परीक्षा की जाएगी अगर लड़की साबत हुई तो राजे को चूठा साबत करके बरात खाली मोड़ दी जाएगी आप ही झूठ बोलने वाला राजा प्रजा में शर्मसार होगा तो राजे ने एक परीक्षा सोच ली और उधर दूसरी तरफ बरात आते एक शिकार शहजादे के आगे निकला, आखेड़ बिर्त राजे की लीला अनुसार पिता से आज्ञा लेकर शिकार के मगर जाना किया तो शिकार तो कहीं जंगल में आलोप हो गया, राजे की संतान की श्रद्धा को फल लगाने के लिए अंतरजामी श्री गुरु नानक देव जी बैठे हुए थे तो उस शहजादे वाले भेस में शहजादी ने जब माथा टेका तो महाराज जी ने वचन किया कि आओ राजकुमार किस तरह आए हो इसी वचन के साथ उसके अंग मर्दों वाले हो गए फिर उसने वापस आकर अपने पिताजी को बताया फिर उसका पिता भी आया तो उसने श्री गुरु नानक देव जी के चरण पकड़ लिए और कहा महाराज जी आपने मेरी पैज रख ली है तो गुरु जी ने कहा कि मेरे प्यारे सिख भूमिया और संगत की की हुई अरदास कभी भी व्यर्थ नहीं हो सकती, मेरी तेरे ऊपर खुशी हुई राजा बरात लेकर जब लड़की वाले राजे के महलों में पहुंचा तो आगे जो उसने परीक्षा का डंक सोचा हुआ था उसके अनुसार पुत्र वाले राजे को बेनती की कि हमारी कुल की रीत है की हम अपने महलों में विवाह करने वाले लाडे को वस्त्रा समेत स्नान करवाते हैं और वो बस्तर हम अपनी तरफ से पहनाकर स्नान के बाद लाडे के वस्त्र की यादगार रखते हैं मल मल के ब्रीक वस्त्र शहजादे को पहनाकर जब शहजादे को स्नान करवाया तो उसके मर्द चिन की शिनाख्त हुई, इस करके राजे ने अपनी लड़की की शादी के साथ साथ खिमा झाजना भी की कि मुझे माफ़ करे मुझे किसी चुगल ने भ्रम डाल दिया था जिस करके तुम्हारे पुत्र को स्नान करवाने की खेचल दी यह हमारी कोई कुल की रीत नही थी यह मैने अपनी तसल्ली के लिए किया आप मुझे माफ कर देना कि किसी के कहने पर मैंने आपके ऊपर शक किया, पुत्र राजे ने कहा कि चुगली नहीं यह वार्ता सच ही थी पर यह सब कुछ जगत श्री गुरु नानक देव जी की किरपा से 16 वर्ष शहजादी रहकर तो एक छिन मे श्री गुरु नानक देव जी ने इस को शहजादा बना दिया यह गुरु और गुरु जी की संगत की किरपा से ऐसा हुआ है फिर वह राजा भी परिवार समेत गुरु जी का सिख हो गया उस परमेश्वर का धनवाद करने लगे जो स्त्री से पुरुष और पुरुष से स्त्री बना देता है प्यारी साध संगत जी यह पावन शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन अंग 1252 में सुशोभित है जो कि इस प्रकार है "राज आश्रम मित्र नहीं जानी तेरी तेरे संतन की होचेरी" हे ऊंचे महल वाले प्रभु मेरे से तेरी कुदरत का अंत नहीं पाया जा सकता तेरे संत ही तेरे गुणों का जिक्र करते हैं सो ये मेरी आत्मा तेरे संता की ही दासी बनी रहे यह ही मेरी ताग है "हस्तो जाएं सो रोवत आवे रोवत जाए सो हंसे" जेकर कोई हंसता जाता है तो वह रोता आता है तो अगर कोई रोता जाता है वह हंसता आता है "वस्तु हुई हुए सो उजर उजर हुए सौ बसें" जो कभी वसदा नगर होता है वह उजड़ जाता है और उजड़ा हुआ स्थान वस जाता है "जल ते थल कर थल ते कुआ" "कूप ते मेर करावे धरती ते आकाश चढ़ावे चढ़े आकाश गिरावे" परमात्मा की खेड़ अस्चर्ज है पानी से भरे जगह से ब्रेता कर देता है ब्रेते से खू बना देता है और खू की जगह पहाड़ कर देता है जमीन उपर बैठे को असमान ऊपर चढ़ा देता है असमान ऊपर चढ़े को नीचे गिरा देता है "भिखारी ते राज करावे राजा ते भिखारी खल मूर्ख ते पंडित करे वो पंडित ते मुगतारी" मंगते को राजा बना कर उससे राज करवाता है राजे से मंगता बना देता है महामूर्ख से विधवान बना देता है और पंडित से मूर्ख कर देता है नारी ते जो पुरष करावे पुरखन ते जो नारी कहो कबीर साधो को प्रीतम जिस मूरत बलहारी" जो प्रभो स्त्री से आदमी बना देता है और मर्दों से स्त्री बना देता है कबीर जी कहते हैं मैं उस सुंदर स्वरूप के ऊपर बल्ल्हारे जाता हूं, वो संत जना का प्यारा है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


Post a Comment

0 Comments