मै अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार !! तुम दाता दुःख भंजना , मेरी करो सम्भार !! मेरे सतगुरु अवगुण भरा शरीर मेरा ,मै कैसे तुम्हे मिल पाऊँ,
चादर मेरी दाग दगीली, मै कैसे दाग छुडाऊँ, न भक्ति न ही प्रेम रस ,मै कैसे तुम्हे मिल पाऊँ, आन पड़ा मेँ द्धार तुम्हारे, अब किस द्धारे जाऊँ ।
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