उसकी रहमतों की क्या गिनती, जिसके उपकारों का कोई हिसाब नहीं,
लिख सके उसकी दया की कहानियाँ, ऐसी कोई किताब नहीं, मेरे "मुर्शिद" की नज़र-ए-करम है सब पर, उस के दर पे कोई छोटा बड़ा या नवाब नहीं ।ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
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