हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं, जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है,
सन्तजन फरमाते हैं कि 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और
ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे
महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है,
फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,
उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर
खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो ।
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