आज रूूू
दुनिया से मन भर जाए तो जीव नाम की और आता है, जब तक दुनिया की आशा - तृष्णा है,
भोगोँ की आशा-तृष्णा है, तब तक नाम की लज्जत नहीँ आती है, गुरु राजी तो करता राजी, कर्म काल की चले न बाजी"ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
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