साधक को अभ्यास के समय अंदर कई तरह के नज़ारे दिखाई दे सकते हैं,
हालाँकि अभ्यास का मक़सद इन नज़ारों का आनंद लेना नही है बल्कि इनको पार करते हुए आगे बढ़ते जाना है, आम तौर पर ये आंतरिक दृश्य जन्मों-जन्मों से हमारे मन पर पड़े हुए प्रभावों के कारण होते है ।
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