आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

"सहजो स्वारथ सब लगे, दारा सुत ओ बीर, जीवत जोतैं बैल ज्यों, मुए चढ़ावें सीर, सहजो जीवत सब सगे, मुए निकट नहीं जाएं रोवें स्वारथ आपने, सुपने देख डरायं" महात्मा सहजोबाई जी अपनी उपरोक्त बाणी में इस दुनियां की हकीकत बयान कर रही हैं फरमाती हैं कि इस दुनियां के जितने भी रिश्ते नाते हैं सब स्वारथ के हैंं

चाहे वो पत्नी हो, पुत्र हो, भाई हो, जीते जी इंसान इन रिश्तों की खातिर बैल की भांति जीता है और मरने के पश्चात् यही रिश्ते नाते धर्म-कर्म करते हैं, जीते जी ये सभी रिश्ते नाते हमें सगे प्रतीत होते हैं और मरने के पश्चात् इनमें से कोई निकट भी नहीं आता । मरने के पश्चात् अगर ये रिश्ते नाते रोते भी हैं तो सब अपने अपने स्वारथ के कारण रोते हैं और साथ ही कभी कभी तो स्वपन में डराते भी हैं, संतों महात्माओं के विचार हमें डराने के लिए नहीं होते बल्कि वो हमें इस संसार की वास्तविकता से अवगत कराते हैं कि हम समझ सकें कि मालिक ने अगर मनुष्य जन्म बख्शा है तो उसका कुछ खास मकसद है और वो मकसद है उस नाम की कमाई, पत्मात्मा की कमाई ।

ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।


Post a Comment

0 Comments