ओह रूह ! तुम बहुत चिंता करती हो तुमने अपनी शक्ति देखी है तुमने अपनी ख़ूबसूरती देखी है,
तमने अपने सुनहरी पंख देखें हैं, तुम कमज़ोर नहीं हो, तुम क्यों चिंता करती हो, तुम सत्यमय हो ।
- मौलाना रूमी
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