आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

जितने दर दर की ठोकरें खानी हैं खा लो मगर जो मिलेगा बाप का ही मिलेगा क्योंकि बाप अपनी वसीयत बेटे के नाम ही लिख कर जाता है

इसलिए 10 जगह ठोकरें खाने से अच्छा अपना एक ही आत्मिक/रूहानी रूपी बाप का हाथ पकड़ लो और पकड़ने में शंका नही आनी चाहिए क्योंकि सुख दुख तो जिंदगी में आते जाते ही रहंगे मौसम की तरह "एक पिता एकस के हम बारिक"

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