सतगुरु की सच्ची शरण मिल जाने के बाद हमने अगर उनके हुकुम का पालन तो किया लेकिन हमारा सतगुरु में पक्का विश्वास और भरोसा नहीं है
तो हमारे डूबने का डर बना रहेता है क्यों की हम लोग संतों-महात्माओं या सतगुरु के पास तो जाते है लेकिन हम उन में पूर्ण आस्था नही रखते हम केवल शब्दों द्वारा ही उनका सम्मान करते है परन्तु मन से नही इस तरीके से गुरु-भक्त्ति करने से कोई लाभ नही भक्त्ति का भाव तो दिल से होना चाहिए ।ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
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