हम ज्ञान की कितनी भी बातें करे या सतसंग और कितने भी प्रवचन सुने,
अगर हमारे अंदर प्रेम और विनम्रता नहीं है , तो हम उस वृक्ष के भांती है,जिस तरह सुखा वृक्ष हरियाली के बिना होता है । ऑफ
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