आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

अगर अंतर में हमें कोई अनुभव होता है तो हमें उस समय तीसरे तिल पर एकाग्र होकर निरंतर सुमिरन और सतगुरु का ध्यान करना चाहिए या शब्द-धुन को सुनते रहना चाहिए ।

उसी तरह से जैसे हम कोई फ़िल्म देखते हैं तो हम बेलाग होकर एक के बाद एक दर्शय देखते रहते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि यह केवल एक फ़िल्म हैं, इसमें कोई सच्चाई नही है । इसी तरह जब तक अंतर में सतगुरु के नूरानी-स्वरुप का दीदार नही होता, तब तक आंतरिक मंडलों में दिखाई देने वाले दृश्यों को निर्लिप्त भाव से देखना चाहिए । जब सतगुरु के नूरानी-स्वरूप का दीदार हो जाए तो आगे का सारा सफ़र उनके मार्गदर्शन में तय हो जाता है । सतगुरु हमारा हाथ पकड़कर हमें आगे ले जाते हैं

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