यदि कोई सत्संगी सच्चे सतगुरु की शरण लेकर उससे विमुख होकर किसी अन्य इष्ट के पैर पकड़ता है
तो मानो उसने अपना मनुष्य-जन्म कौड़ीयों के दाम गँवा दिया, पानी को मथने में चाहे हम कितनी भी मेहनत क्यों न करे उससे घी प्राप्त नही हो सकता अगर हम एक समय में दो शीशों में मुँह देखने की कोशिश करें तो हम सफ़ल नही हो सकते या जिस एक नगरी पर दो अलग-अलग राजा अपना अधिकार जमाने लगे तो वहाँ के लोग सुख की नींद नही सो सकते क्यों की उनके सामने दो विरोधी आज्ञाओं के पालन करने का संकट पैदा हो जाता है इसी प्रकार जब पुरे गुरु का शिष्य किसी अन्य पीर-फकी़र का सहारा लेने लगता है तो उसे इस संसार में तो दु:ख भोगने पड़ते है पर मरने के बाद भी यमदूत उसका पीछा नही छोड़ते इसलिए हमे चाहिए की अपना पुरा विश्वास पुरी आस सच्चा प्यार अपने सतगुरु में ही रखे जी ।ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
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