रहमतों के फूल बरसते है, जब सतगुरु, रब, मुरशिद का दीदार होता है, बड़े ही किस्मत वाले होते है वो, जिनको सतगुरु, रब, मुरशिद से प्यार होता है,
न चाँद चाहिए, न फलक चाहिए, मेरे सतगुरु, रब, मुरशिद ! मूझे तो बस तेरी, झलक चाहिए ।
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