Guru Nanak Sakhi । जो लोग कहते है कि मेरी किस्मत खराब है ये साखी जरुर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक और भाई मरदाना जी की है जब भाई मरदाना जी ने सतगुरु की बात को नकारा तब सतगुरु ने क्या लीला की आइए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग सरवन कहते हैं ।

अक्सर इंसान इसी चिंता में जीवन गुजार देता है कि अच्छी नौकरी कैसे मिलेगी शादी कहां होगी और धन कैसे आएगा जीवन यापन कैसे होगा ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब कहते हैं मां के पेट के जल में उस प्रभु ने हमारा 10 द्वारों वाला शरीर बना दिया यानी दो कान, दो आंखें, दो नसिकाए, एक गुदा, एक लिंग और एक तालू खुराक दे के मां के पेट की आग में वह हमारी रक्षा करता है देख हे मन मालिक ऐसा दयालु है इसका भाव यह है कि मां की पेट की भीषण गर्मी में भी परमात्मा उस जीव का पालन पोषण करता है कछुआ पानी में रहता है उसके बच्चे बाहर रेत पर रहते हैं ना बच्चों के पंख है कि उड़के कुछ खा ले ना कछुए के, धन है कि बच्चों को दूध पिलाएं पर हे जीव आत्म मन में विचार कर देख वह सुंदर परमानंद पूर्ण प्रभु उनकी पालना करता है पत्थर में कीड़ा छुपा हुआ रहता है पत्थर में से बाहर जाने के लिए उसका कोई रास्ता नहीं पर उसको पालने वाला भी पूर्ण परमात्मा है धरना कहता है हे जीव आत्मा तू भी ना डर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की इस वाणी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिन परिस्थितियों में रहने की जीव सोच भी नहीं सकता वहां भी परमात्मा अपने पैदा किए हुए जीवो की पालना कर रहा है तो हम काहे को डरे सब करतार ठीक करेंगे, सतनाम श्री वाहेगुरु इस वाणी से संबंधित एक बहुत ही प्रेरणादायक साखी है आइए वह सुनते हैं एक व्यक्ति गुरु के लंगर में रोज़ अमीर और गरीब लोगों को प्रसादा शकाता था एक दिन वह लंगर में लोगों को प्रसाद देता हुआ सोचने लगा मैं कितने लोगों को रोज खाना खिलाता हूं तभी प्रसाद खा रहे एक व्यक्ति ने उसको कहा भाई जी थोड़ी दाल मिलेगी भाई जी ने बड़े घमंड से कहा क्यों नहीं मिलेगी भाई जी के राज में सब को पूरा पेट भर कर खाना मिलेगा मेरा पूरा भंडारा भरा हुआ है जितना चाहो उतना खाओ, राज करो मेरे राज में,  यूं ही चलता रहा भाई जी का घमंड बढ़ता रहा, खाओ खाओ भाई जी के राज में खाओ भाई जी के राज में किसी का पेट खाली नहीं रह सकता खाओ, 1 दिन वह सो रहा था उसके सपने में गुरु जी आए और बोले आज एक जरूरी काम है चलो मेरे साथ गुरुजी उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गए वह इतना ऊंचा पहाड़ था कि वहा सांस लेने में भी मुश्किल हो रही थी चारों और बर्फ थी ठंड के मारे भाई जी की जान निकली जा रही थी उसने गुरु जी से कहा गुरु जी, ठंड के मारे जान निकली जा रही है और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है गुरुजी ने उसे कहा घबराओ मत तुम्हारे सामने वाली जमीन को खोदो, भाई जी गुरु जी के कहने पर गड्ढा खोदने लगे थोड़ी देर में भाई जी ने गहरा गड्ढा खोद लिया गड्ढे में एक बहुत बड़ा पत्थर था गुरु जी ने बोला अब इस पत्थर को हटाओ भाई जी ने पूरी जान लगा कर पत्थर को बाहर फेंक दिया गुरुजी ने कहा अब गौर से देखो जहां पर क्या है भाई जी यह देखकर हैरान रह गए कि इतनी दुर्गम जगह पर छोटी छोटी चिड़िया खाना खा रही थी गुरु जी ने उसे पूछा क्या इन्हे भी तुम खाना खिलाते हो इतने में ही भाई जी की नींद खुल गई और उसे एहसास हो गया कि उसे गुरु जी यह समझा कर गए हैं कि हम सब को खाना एक ही शक्ति देती है वह है परम पिता परमेश्वर, उसके इलावा कोई और नही, किसी गांव में एक वैद जी रहते थे वैद जी गांव के माने हुए वैद थे जिनसे बहुत दूर-दूर से लोग दवाइयां लेने आते थे, 1 दिन गुरु नानक देव जी भाई बाला और मर्दाना के संग उस गांव में पहुंचे विश्राम करने के लिए गुरुजी भाई बाला और भाई मरदाना के संग एक वृक्ष के नीचे बैठ गए और सत्संग करने लगे गुरुजी बोले हसना कब है वह भी तह रोना कब है वह भी तह सुख की घड़ियां आएगी वो कौन घड़ी है वह भी तह, कोई कब जन्मेगा वह भी तह वह कहा पलेगा वह भी तह, जिस घड़ी में मरना होगा कौन घड़ी है वह भी तह, दाना दाना किसने खाना किस के मुंह में है, दुनिया का यह ताना भाना लिख दिया है वह भी तह, भाई बाला और भाई मरदाना दोनों उपदेशों को बहुत गौर से सुन रहे थे भाई बाला बहुत शांत स्वभाव के थे परंतु भाई मरदाना गुरुजी से हर उपदेश की गहराई तक जानकारी लेना चाहते थे गुरूजी इंसान कब हंसेगा कब रोएगा क्या यह पहले से ही तह है, सतगुरु कहने लगे हां मर्दाना पहले से ही तह है इंसान की जिंदगी में कब सुख आएंगे कब दुख आएंगे क्या यह भी पहले से ही तह है हां मर्दाना यह भी पहले से ही तह है हम कहा पलेगे और कहा मरेगे तो भाई मर्दाना जी ने कहा गुरूजी क्या यह भी पहले से ही तह है तो सतगुरु कहने लगे हां मर्दाना यह सब कुछ पहले से तह है गुरूजी अंतिम बात पूछना चाहता हूं आप कह रहे है दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम क्या ये बात सही है क्या इस खेत में जितने भी मक्का लगे हुए है उस पर यह लिखा हुआ है कि इसको कौन खाएगा तो सतगुरु कहने लगे बिलकुल सही कहा मर्दाना हर मक्का पर ही नही उसके एक एक दाने पर ही लिखा है कि उस दाने को कौन खाएगा उन्होने एक दाना तोड़ा गुरुजी के पास वापस आए गुरूजी अब बताए इस मक्का के दाने को कौन खाएगा सतगुरु नानक कहने लगे मर्दाने यह दाना तुम्हारे पेट में नहीं जाएगा तो भाई मरदाना ने कहा गुरु जी कैसी बाते करते हो दाना मेरी हथेली पर है शारीरिक रूप से मै ताकतवार हूं और मुझे भूख भी लग रही है और फिर भी आप कह रहे है ये दाना मेरे पेट में नहीं जाएगा तुमने बिलकुल सही सुना मरदाना यह दाना तुम्हारे पेट में नहीं जाएगा यह ही कुदरत का फ़ैसला है भाई मरदाना ने तुरंत वह दाना अपने मुंह में ले लिया और बोले गुरूजी आज तो मैंने कुदरत का नियम बदल दिया दाना मेरे पेट मे चला गया परंतु तुरंत ही भाई मरदाना अजीब सा विहार करने लगे मानो उनकी तबीयत खराब हो गई हो, वो बोले गुरु जी मुझे सास नही आ रहा है क्या करूं कुछ बताओ भाई बाला बोले गुरु जी मरदाना को लेकर जल्दी किसी वैद के जहा चलते है वहीं से एक व्यक्ति गुजर रहा था भाई बाला ने उसे पूछा अरे भाई यहां पर कोई वैद है क्या हमारे संगी की तबीयत खराब हो गई है तो उसने कहा हां उस और चले जाओ वहां पर एक बहुत मशहूर वैद है, तो जब वह वहां पहुंचे तो वेद ने कहा कि क्या हुआ तो भाई मरदाना जी ने कहा वैद जी मुझे सास लेने में बहुत दिक्कत हो रही है आप कुछ कीजिए तो वेद ने कहा कि क्या खाया था तुमने, तो भाई मरदाना जी ने कहा मैंने तो एक मक्का का दाना ही खाया था तो वेद ने कहा लगता है कि वह मक्का का दाना तुम्हारी स्वास नली में चला गया कोई बात नहीं नस्वा मैं दे देता हूं तुम तुरंत ठीक हो जाओगे वैद जी ने नस्वा जैसे ही भाई मरदाना को सुघाई भाई मरदाना जोर जोर से शिक्ने लगे थोडी देर में वह दाना बाहर आ गया और तुरंत बाहर घूम रही मुर्गी ने उसे खा लिया मर्दाना एकदम ठीक हो गए और गुरु जी से बोले गुरु जी मुझे माफ कीजिए मैंने आपकी बात पर शक किया वाक्य ही दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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