आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

एक बार एक नौजवान एक सन्त के पास आया और कहने लगा कि संत जी मैंने सुना है कि आपने ईश्वर का साक्षात दर्शन किया है, उन्होंने कहा आपने ठीक सुना है,

तो नौजवान ने कहा कृपया मुझे भी ईश्वर का दर्शन करवा दो तो संत ने कहा कि भाई ठीक है करवा देंगे, पहले ये बताओ कि आपने कहां तक पढ़ाई की है ? नौजवान ने कहा कि मैंने बी.ए.तक पढ़ाई की है, तो संत ने कहा भाई तो ठीक है पहले आप मुझे बी.ए.पास करवा दो, फिर मैं आपको ईश्वर के दर्शन करवा दूंगा, नौजवान ने कहा जी बी.ए.कोई ऐसे ही पास थोड़े हो जाती है, संत ने पूछा फिर कैसे पास होती है ? नौजवान ने कहा पहले नर्सरी फिर केजी,  फिर पहली क्लास, दूसरी क्लास, तीसरी, चौथी, पांचवीं.....इस तरह से क्लासें पास करते हुए जब पन्द्रहवीं क्लास में पहुंचता है तो तब कहीं बी.ए.तक पहुंचता है, इस तरह 15 साल लग जाते हैं, कोई ऐसे थोड़े बी.ए.पास होती है, पहले इतनी क्लासें पास करनी पड़ती हैं, तब बी.ए होती है तो संत ने कहा जब संसार की पढ़ाई के लिए इतने साल लग जाते हैं, तो ईश्वर के दर्शन को आपने मजाक समझ रखा है, जो एक दिन में दर्शन हो जाएंगे, जिस तरह से बी.ए.तक पहुंचने के लिए जब इतनी क्लासें पास करनी पड़ती है, तो ईश्वर का दर्शन करने के लिए पहले उनके दर से जुड़ना पड़ता है, फिर नितनेम, बाणी, भजन, सुमिरन, सेवा, सत्संग, समर्पण, श्रद्धा, प्रेम जैसे इन क्लासों से गुजरकर पास होना पड़ता है, तब कहीं जाकर ईश्वर के दर्शन होते हैं भाई और फिर ईश्वर का दर्शन आखिरी दर्शन है इसके बाद फिर किसी और के दर्शन की जरूरत नहीं पड़ती ।

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