मेरे मुर्शिद की रहमतों का अंदाज ही निराला है, सब कुछ खुद कर जाते हैं और कह जाते हैं, हजूर दया करेंगे, दूर जाते हैं और पास भी आते हैं,
प्यास भी भड़काते हैं दर्श भी दिखाते हैं, फिर मुस्कुराते हुए कहते हैं, हजूर दया करेंगे, मुश्किलों से बचाते हैं बिगड़े काम भी बनाते हैं, होकर मेहरबान अपने पास भी बुलाते हैं, फिर सिर पर हाथ रखकर कहते हैं घबराओ मत, हजूर दया करेंगे, सत्संग सुनाते हैं भजन पर बिठाते हैं, आंखें बंद कर रूहानी सफर में ले जाते हैं और बाद में कहते हैं, हजूर दया करेंगे, यादों में आते हैं फिर तड़पाते हैं, पहले रुलाते हैं फिर गले से लगाते हैं और प्यार से कहते हैं अरे घबराता क्यों है हजूर दया करेंगे ।
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.