अमृत वचन पुसतक में लिखा है, पहली बात तो यह समझ लें, वह आदमी व्यर्थ जी रहा है जिस के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है,
वह आदमी जी नहीं रहा, वास्तव में वह सिर्फ अपनी मौत का इन्तजार कर रहा है, जो ढाई घंटा भी अपने भीतर की खोज के लिए नहीं दे सकता है, यही खोज उसे अपने मुकाम तक पहुंचाएगी, क्योंकि आखिर में जब सारा हिसाब किताब होता है तो जो भी हमने शरीर के बल पर कमाया है, वह तो हम से मौत छीन लेती है और जो हम ने भीतर (भजन ) कमाया है, वह मौत कभी नहीं छीन पाती, वही हमारे साथ होता है, इसे ख्याल रखें कि, मौत आप से सब कुछ छीनेगी,
उस समय आप के पास कुछ बचाने योग्य है ? अगर नहीं है, तो विचार करो, भीतर की कमाई करनी शुरु करो ।
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