”निंदा” करना सबसे बुरा कर्म है, जब हम किसी की निंदा करते हैं, तो उसके किये बुरे कर्म अपने लेखे में जमा हो जाते हैं और अपने किए अच्छे कर्मो का फल जिसकी हम निंदा करते है,
उसको मिल जाते है, शेखशादी साहिब जी फरमाते है कि अवल तो मैं किसी की निंदा करूँगा नहीं। हाँ अगर मुझे निंदा करनी पड़े, तो मैं सिर्फ अपनी माँ की निंदा करूँगा, ताकि उसके किये बुरे कर्म मेरी झोली मे आयें और अच्छे कर्म माँ की झोली मे, क्योकि मैं माँ का कर्ज चुका नहीं सकता, गुरु साहिब ने भी कहा है, कि निंदा करने वाला मुफ़्त का धोबी है, जिसकी वह निंदा करता है, वह उसके पापो की मैल को धोता है, निंदा चुगली करना सबसे बड़ा बुरा कर्म है ।
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