संसार के हर रिश्ते को निभाने के लिए, चौबीसों घंटे लगे रहते हैं फिर भी सब नाराज रहते हैं, एक 'परमात्मा' है,जिसे अगर एक घंटे का भी समय दे दें,तो वे इतना हमारा हो जाता हैं,कि हमें 'भवसागर' से पार कर देता है ।
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