नाम सिमरन का अभ्यास करने वाला व्यक्ति कभी दुखी नही होता क्योंकि वह अंदर उस नूर से जुड़ा होता है यहां प्रतिपल आनंद ही आनंद पर्फुलित होता है,
नाम वह अशरफ़ी रूपी खजाना है जिसे स्वांस-स्वांस सिमर कर मनुष्य के अंदर करोड़ों सूर्य का प्रकाश प्रज्जवलित हो जाता है वह इस लोक में तो सुख भोगता ही है और परलोक में भी मालिक का प्यारा बन जाता है और दिव्य सूर्य के समान सदा चमकता रहता है ।
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