भजन-सिमरन में हम तब ही आगे बढ़ पायेगे जब हमारे विचार पवित्र होगें,
क्योंकि सतगुरु को तो हमारी हर सोच की खबर होती है गुरु का शिष्य से शुद्ध प्रेम का रिश्ता होता है, गुरु को शिष्य से दूर या पास होने में कोई अंतर नहीं होता उसका हाथ बड़ा लंबा होता है उसका हाथ परमात्मा का हाथ होता है तथा उसके हाथों में असीम शक्ति होती है ।
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