जब भी मालिक की याद में बैठो तो याद रखो कि अब हमारा दुनिया से कोई रिश्ता नहीं,
क्योंकि भजन के समय ख्याल को दुनिया की तरफ़ लेकर जाना, मन की चाल है, वह आपको उलझाना चाहता है आपको किसी और काम में डालना चाहता है लेकिन इसको साक्षी होकर देखना है फिर ये अपनी चाले चलना बंद कर देगा ।
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