जो लोग भजन नही करते वह सिर्फ इतना ही कर ले कि संतमत के नियमों को माने
जैसे कि साधारण जीवन व्यतीत करना, मांस आदि का सेवन न करना, शराब न पीना, दूसरों की मदद करना, इनको मानने से ही सतगुरु खुश हों जाते है उधारण के तौर पर, जैसे कोई बच्चा क्लास में नालायक हो, पढ़ाई न करता हो लेकिन डिसिप्लिन में रहता हो तो क्लास टीचर का उससे भी उतना प्रेम होता है जितना कि होशियार बच्चों के साथ होता है ।
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