Sant Vachan Sakhi : जब बादशाह ने भगत नामदेव जी को मरी हुई गाए जीवित करने के लिऐ कहा !

 

"घट घट पूर्ण ब्रह्म है गुरमुख वखाले" भक्तों को भगत प्यारे होते हैं संतो को संत जन अच्छे लगते हैं भगत नामदेव जी की महिमा सभी तरफ होने लगी उनके पास कई साधु संत आते और दर्शन करने के साथ घोषाट करते महाराष्ट्र में एक मशहूर संत श्री ज्ञानेश्वर जी थे वह भी भक्ति भाव वाले और आत्मक और भगवान ज्ञान के ज्ञाता थे उनकी दिव्य दृष्टि बहुत दूर की थी उन्होंने जब नामदेव जी के दर्शन किए

तो कहा नामदेव हम तीर्थों के दर्शनो को जा रहे हैं तुम भी हमारे साथ चलो यह वचन सुनकर नामदेव जी ने बेनती की महाराज जी इच्छा तो है पर विट्ठल जी के दर्शन खींच पाते हैं कोई पेश नहीं जाने देते जेकर चले गए तो दर्शन कहां से होंगे यह सुनकर महात्मा पुरुष बोले नामदेव यह एक भूल है माया का पर्दा है इतना कुछ करने पर भी माया का पर्दा हटा नहीं तेरा विठ्ठल सर्वशक्तिवान है जैसे जड़ एक तो पत्ते फूल अलग ऐसा भेद है ऐसे वचन करके महापुरुष ने नामदेव जी को ज्ञान उपदेश किया माया और भ्रम का पर्दा दूर किया और वचन किया विट्ठल हर जगह होने के साथ-साथ उसके जब प्रकाश के दर्शन करते हैं तो मन प्रसन्न होता है तीर्थों पर गए ज्ञान में बाधा और महापुरुषों के दर्शन होते हैं अनेकों संत मंडलिया मिलती हैं आओ तुम्हारा विट्ठल हर जगह बस्ता दिखाइए नामदेव जी ने कहा जैसे आज्ञा महाराज आपने ही लाज रखनी है यह वचन करके नामदेव जी साथ चलने को तैयार हो गए संत ज्ञानेश्वर जी की संत मंडली नामदेव जी को साथ लेकर महाराष्ट्र में तीर्थों के दर्शन करने लगी, मध्य भारत में से होते हुए त्रिवेणी, कांशी और हरिद्वार आदि तीर्थों के दर्शन किए संत मंडलियों के साथ ज्ञान चर्चा हुई तो सच ही अनेक संत मंडलियों के दर्शन हुए नामदेव जी के मन का भ्रम दूर हो गया उनका विट्ठल हर जगह बस्ता हुआ नजर आया मन मान गया तो भगत नामदेव जी प्रसन्न हो गए क्योंकि उनको भगवान के दर्शन होने लगे थे संत ज्ञानेश्वर जी की संत मंडली के साथ तीर्थों की यात्रा करते हुए श्री नामदेव जी मथुरा वृंदावन से दिल्ली हस्तिनापुर आ गए वृंदावन में जब नामदेव जी ने भगवान श्री कृष्ण जी के मंदिरों में भगवान जी के दर्शन किए तो उनको श्री कृष्ण जी के रूप की जगह विट्ठल जी के दर्शन हुए एक महीना वृंदावन में ही संत मंडली टिकी और दर्शन होते रहे दिल्ली में जमुना घाट के ऊपर संत मंडली ने डेरा जमा लिया और भजन कीर्तन होने लगा शहर के हिंदू और सूफी मुसलमान संतो के दर्शनों के लिए आते भदों भदी श्री नामदेव जी की करामातो का जब शहर वासियों को पता लग गया तो शहर वाले हुम हमा कर आने लगे बहुत शोभा हुई नामदेव जी का जस होने लग गया उस समय दिल्ली में तुर्कों का राज था मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली का बादशाह था यह बादशाह इस्लाम का प्रचारक तो हिंदुओं के साथ ईरखा करता था इसको पता लगा कि एक नामदेव हिंदू दक्षिण की तरफ से आया है उसको भगवान ने कई बार दर्शन दिए हैं वो करामाती है शक्ति वाला है जो भी कोई भगत नामदेव जी से सुध बुध की दाते मांगता है वो हासिल कर लेता है यह जस सुनकर बादशाह ने प्यादे भेज कर नामदेव जी को किले में बुला लिया नामदेव जी का बादशाह के पास जाना था कि हिंदुओं में निराश्ता की लहर दौड़ गई उन्होंने ख्याल किया हो सकता है कि बादशाह नामदेव जी को मरवा ही ना दे क्योंकि बहुत तजवस्वी था वह हिंदुओं के ऊपर बहुत जुल्म करता था इसलिए हिंदू इकट्ठे होकर बादशाह के पास गए उन्हों के आगुओं ने बादशाह के आगे विनती की बादशाह सलामत नामदेव जी को छोड़ दिया जाए उनके साथ तुलवा सोना हमारे से ले लो पर बादशाह ना माना सभी निराश होकर मुड़ आए और सीधे ज्ञानेश्वर जी के पास जाकर विनती की महाराज जी अपने शिष्य को बचाओ बादशाह अच्छी नियत वाला नहीं इरखावादी है संत ज्ञानेश्वर जी ने कहा हे भक्तजनों नामदेव जी का राखा उसका भगवान विट्ठल है चिंता मत करो बादशाह ने विट्ठल को नहीं बनाया विट्ठल ने बादशाह को पैदा किया है जो अपने मालिक के साथ मुकाबला करता है वह कभी जीतता नहीं देखो भगवान क्या खेल करता है चिंता मत करो भगवान का नाम लो संत जी के यह वचन सुनकर श्रद्धालुओं को शांति आई बादशाह ने भगत नामदेव को पास बुलाकर कहां सुना है कि तुम बहुत करामाती हो खुदा तुम्हारी बात मानता है जेकर यह बात सच्ची है तो अपने भगवान को बोल वो मरी गाय जीवित करें बादशाह की यह बात सुनकर भगत नामदेव जी ने वचन किया "सुल्तान पूछे सुन बेनामा देखो राम तुम्हारे कामा नामा सुल्ताने बादिला देखो तेरा हर विठला विस मिल गऊ देहो जीवाए नात्र गर्दन मारो ठाएं" भाव यह है कि बादशाह ने पूछा सुन नामदेव तेरे राम के मैं कोतक देखने चाहता हूं नामदेव को सुल्तान ने बांध लिया कहने लगा तेरा हर भगवान देखता है इस समय मरी हुई गऊ जीवित कर नहीं तो तेरा सिर धड़ से अलग किया जाएगा नामदेव जी ने वचन किया बादशाह भगवान का शरीर कोई नहीं जेकर भगवान ने गऊ को मारा है तो मैं कौन हूं उस को जीवित करने वाला वह तो भगवान की इच्छा से ही जीवित हो सकती है बादशाह ने कहा मैंने सुना है तुमने बहुत सारी करामाते दिखाई है पत्थर की मूर्ति को आदमियों जैसे दूध पिलाता रहा है क्या यह सच है भगत नामदेव जी ने कहा मुझे तो पता नहीं करामात किसे कहते हैं मैं तो यह जानता हूं कि प्रभु का सिमरन करना अच्छा है संत मंडलियों के साथ हरि कीर्तन करता हूं और सुनता हूं जेकर भगवान कोई कोतक करता है तो वो भगवान की लीला है आपने बुलाया मैं आ गया भेजोगे तो चला जाऊंगा बादशाह ने कहा हम कुछ नहीं सुनना चाहते बताओ गऊ जीवित करोगे या नहीं ज्यादी बातें करने की दरबार में इजाज़त नहीं एक टक बात बताओ भगत नामदेव जी ने कहा मैं तो कुछ नहीं जानता मेरा विट्ठल जाने जैसे उसको अच्छा लगेगा वैसे ही होगा आप प्रजा पर जुल्म करते हो जिसने बादशाह बनाया है उसको याद नहीं करते यह सुनकर बादशाह क्रोध में आ गया उसने वजीरो की तरफ देखा मुड़ नामदेव जी को कहा अच्छा एक पहर का समय मोहलत दी जाती है इस समय में गऊ जीवित कर दो नहीं तो सभी के देखते कत्ल कर दिए जाओगे हाथी के पांव में फेंक के दलमल दिए जाओगे यही मेरा हुक्म है लोगों को धोखा देकर पीछे लगाते हो यह कहकर बादशाह महलों में चला गया भगत नामदेव जी कैद थे उनके हाथ बंधे हुए थे सिपाहियों के पहरे में उनको बिठाया हुआ था 7 घड़ियां बीत गई पर गाय नहीं हिली वह जीवित तो मोई पड़ी रही यह एक अलग ही कोतक था लोग हैरान थे जेकर गाय ना उठी तो भगत नामदेव जी को बादशाह जरूर मार देगा लोग भगवान के आगे अरदास कर रहे थे जैसे ही बादशाह घर पहुंचा तो उसको सूल होना शुरू हो गया वह पल में इतना तंग हो गया कि उसके बचने की कोई आस ना रही शाही हकीम दौड़ भज करने लगे बादशाह की आखों के आगे भगत नामदेव जी का चरित्र था कभी-कभी उनका चरित्र एक तरफ होता तो भयानक सूरते नजर आती वह रोने लगा बचाओ मुझे बचाओ बादशाह के समझदार वजीर ने कहा बादशाह सलामत राजी हो सकता है शायद नामदेव जी के पकड़े के कारण खुदा नाराज हो गया हो, जान के बदले उसको छोड़ देना चाहिए वह खुदाई बंदा है हो सकता है खुदा नाराज हो गया हो यह बात बादशाह के मन लगी उसने उसी समय हुक्म दिया छोड़ दो हुकम गया, पर उस तरफ कोई और ही खेल हो चुका था उसके आदमियों ने देखा देर हो रही थी तो उन्होंने बादशाह के पहले हुकम अनुसार नामदेव जी को उठाकर हाथी के आगे फेंक दिया हाथी पहले तो घबराया उसने रब्बी बंदे को देखा पर एक बार चुक कर फेंका उस बाबत भगत नामदेव जी आप ही बताते हैं करें गाजिद सुंड की चोट नामा उबरे हर की ओट उस समय वजीर वहां पुज गया उसने जलादो को बादशाह का हुक्म सुनाया तो नामदेव जी के हाथ पैर खोले गए उधर गाय भी उठ बैठी लोग और वजीर सब हैरान हो गए भगत नामदेव जी ने बादशाह को उपदेश दिया उसका दुख निवृत किया "तिस प्रथाएं" भगत नामदेव जी की अपनी वाणी का यह पूरा शब्द है (सुल्तान पूछे सुन बेनामा देखो राम तुम्हारे कामा नामा सुल्ताने बादिला देखो तेरा हर विठला राहाओ बिस्मल गऊ दे हो जिवाए नात्र गर्दन मारो ठाएं बादशाह ऐसी क्यों हुए बिस्मल किया ना जीवे कोई मेरा किया कछु ना होए कर है राम हुए है सोए बादशाहों चढ़ो अहंकार गज हस्ती दिनों चमकार रुदन करे नामे की माए छोड़ राम की ना भजे खुदाए ना हो तेरा पुगड़ा ना तू मेरी माए गांव पढ़े तो हर गुण गाए करें गाजिद सुंड की चोट नामा उबरे हर की ओट काजी मुल्ला करे इस्लाम इन हिंदू मेरा मल्यामान बादशाह बेनती सुने हो नामे सिर पर सोना ले हो माल ले हो तो दो जग भरे हो दीन छोड़ दुनिया को भरो पाओ बेड़ी हाथों ताल नामा गावे गुण गोपाल गंग जमन जो उल्टी बहे तो नामा हर करता रहे 7 घड़ी जब बीती सुनी अजु ना आए हो त्रिपवन तनी पाखंड तन बाज बजाए ला गरुड़ चढ़े गोविंद आईला अपने भगत पर की प्रितपाल गरुड़ चढ़े आए गोपाल )

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By Sant Vachan


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