ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सभु जगु जिनहि उपाइआ भाई करण कारण समरथु ॥ जीउ पिंडु जिनि साजिआ भाई दे करि अपणी वथु ॥ किनि कहीऐ किउ देखीऐ भाई करता एकु अकथु ॥
अर्थ : अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। हे भाई! जिस परमात्मा ने आप ही सारा जगत पैदा किया है, जो सरे जगत का मूल है, जो सारी ताकतों का मालिक है, जिस ने अपनी ताकत दे कर (मनुख की) जान और सरीर पैदा किया है, वह करतार (तो) किसी भी तरह बयां नहीं किया जा सकता। हे भाई! उस करतार का सवरूप बताया नहीं जा सकता। उस को कैसे देखा जाये? हे भाई! गोबिंद के रूप गुरु की सिफत करनी चाहिये, क्योंकि गुरु से ही सरे जगत के मूल की सूझ पाई जा सकती है॥१॥ हे मेरे मन! (सदा) हरी परमात्मा का नाम जपना चाहिए। वह भगवन अपने सेवक को अपने नाम की दात देता है। वह सारे दुःख और पीड़ा
का
नास करने वाला है॥रहाउ॥
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