जिस इंसान में अच्छे विचार एवं, अच्छे संस्कारो की पकड़ होती है,
उसे हाथ में "माला पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती "अकाल" हो अगर "अनाज" का, तब "मानव" मरता है, किन्तु "अकाल" हो अगर "संस्कारों" का, तो "मानवता" मरती है "संस्कारों" से बड़ी कोई "वसीयत" नहीं, और "र्इमानदारी" से बड़ी कोई "विरासत" नहीं ।
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