आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

टोडी महला ५ ॥ साधसंगि हरि हरि नामु चितारा ॥ सहजि अनंदु होवै दिनु राती अंकुरु भलो हमारा ॥ रहाउ ॥ गुरु पूरा भेटिओ बडभागी जा को अंतु न पारावारा ॥ करु गहि काढि लीओ जनु अपुना बिखु सागर संसारा ॥१॥

अर्थ: हे भाई! जो मनुष्य गुरू की संगति में टिक के परमात्मा का नाम सिमरता रहता है (उसके अंदर आत्मिक अडोलता पैदा हो जाती है, उस) आत्मिक अडोलता के कारण (उसके अंदर) दिन रात (हर वक्त) आनंद बना रहता है। (हे भाई! साध-संगति की बरकति से) हम जीवों के पिछले किए कर्मों के भले अंकुर फूट पड़ते हैं। रहाउ।हे भाई! जिस परमात्मा के गुणों का अंत नहीं पाया जा सकता, जिसकी हस्ती का इस पार उस पार का छोर नहीं मिल सकता, वह परमात्मा अपने उस सेवक को (उसका) हाथ पकड़ के संसार समुंद्र से बाहर निकाल लेता है, (जिस सेवक को) बड़ी किस्मत से पूरा गुरू मिल जाता है।1।हे भाई! गुरू के बचनों पर चलने से जनम-मरण में डालने वाली फाहियां कट जाती हैं, कष्टों भरे चौरासी के चक्करों का दरवाजा दोबारा नहीं देखना पड़ता। गुरु नानक जी कहते हैं, हे नानक! (कह– हे भाई! गुरू की संगति की बरकति से) मैंने भी मालिक-प्रभू का आसरा लिया है, मैं (उसके दर पर) बार बार सिर झुकाता हूँ।2।9।27।

ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।


Post a Comment

0 Comments