आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

बिलावलु महला १ ॥
मै मनि चाउ घणा साचि विगासी राम ॥
मोही प्रेम पिरे प्रभि अबिनासी राम ॥
अविगतो हरि नाथु नाथह तिसै भावै सो थीऐ ॥

हे सखी ! सदा रहने वाले परमात्मा में मेरा मन खिड़ा रहता हैं, मेरे मन में बहुत चाव बना रहता हैं, अभिनाशी प्यारे प्रभू ने प्रेम में मुझे मस्त कर रखा हैं, हे सखी ! वह परमात्मा इन आंखों से दिखाई नही देता, लेकिन वह परमात्मा नाथों का नाथ हैं और इस जगत में वही होता हैं जो उस परमात्मा को अच्छा लगता हैं ।

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