आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

टोडी महला ५ ॥ गरबि गहिलड़ो मूड़ड़ो हीओ रे ॥  हीओ महराज री माइओ ॥  डीहर निआई मोहि फाकिओ रे ॥ रहाउ ॥  घणो घणो घणो सद लोड़ै बिनु लहणे कैठै पाइओ रे ॥  महराज रो गाथु वाहू सिउ लुभड़िओ निहभागड़ो भाहि संजोइओ रे ॥१॥  सुणि मन सीख साधू जन सगलो थारे सगले प्राछत मिटिओ रे ॥  जा को लहणो महराज री गाठड़ीओ जन नानक गरभासि न पउड़िओ रे ॥२॥२॥१९॥

मुर्ख दिल अहंकार में पागल हुआ रहता है। इस हृदये को महाराज (प्रभु) की माया ने मछली की तरह मोह में फंसा रखा है (जैसे मछली की कांटे में)॥रहाउ॥ (मोह में फंसा हुआ हिरदा) सदा बहुत बहुत (माया) मांगता रहता है, पर भाग्य के बिना कहाँ से प्राप्त करे? महाराज का (दिया हुआ) यह सरीर है, इसी के साथ (मुर्ख जीव) मोह करता रहता है। अभागा मनुख (अपने मन को तृष्णा की) अग्नि के साथ जोड़े रखता है॥१॥ हे मन! सारे साधू जनों की शिक्षा सुना कर, (इस की बरकत से) तेरे सारे पाप मिट जायेंगे। गुरु नानक जी कहते हैं,  हे दास नानक! महाराज के खजाने में से जिस के भाग्य में कुछ प्राप्ति  लिखी है, वह जूनों में नहीं पड़ता॥२॥२॥१९॥

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