अर्थ: हे मनुष्य! (निरे इस) शरीर को ही क्यों लाडों से पालता रहता है? (जैसे) धूआँ, (जैसे) बादल (उड़ जाता है, वैसे ही ये शरीर) नाश हो जाएगा। सिर्फ परमात्मा का भजन किया कर, वही असल प्यार करने वाला है। रहाउ।
हे भाई! पुत्र, स्त्री, घर के और लोग और औरतें (सारे) माया के ही संबंध हैं। आखिरी वक्त (इनमें से) कोई भी तेरा मददगार नहीं बनेगा, सारे झूठा ही प्यार करने वाले हैं।1। हे भाई! (परमात्मा ने) माया के तीन गुणों के असर तले रहने वाला तेरा शरीर बना दिया, (ये अंत को) पानी के, कुक्तों के, या मिट्टी के हवाले हो जाता है। तू इस शरीर-घर में (अपने आप को) अमर समझे बैठा रहता है, और जगत के मूल परमात्मा को भुला रहा है।2। हे भाई! अनेकों तरीकों से (परमात्मा ने तेरे सारे अंग) मणके बनाए हैं; (पर, साँसों के) कच्चे धागे में परोए हुए हैं। हे निमाणे जीव! ये धागा (आखिर) टूट जाएगा, (अब इस शरीर के मोह में प्रभू को बिसारे बैठा है) फिर समय बीत जाने पर हाथ मलेगा।3। हे भाई! जिस परमात्मा ने तुझे पैदा किया है, पैदा करके तुझे सुंदर बनाया है उसे दिन-रात (हर वक्त) सिमरते रहा कर। गुरू नानक जी कहते हैं, हे दास नानक! (अरदास कर और कह–) हे प्रभू! (मेरे पर) मेहर कर, मैं गुरू का आसरा पकड़े रखूँ।4।4।
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.