साध संगत जी आज की साखी गुरु गोविंद सिंह जी महाराज जी के समय की है जब सतगुरु महाराज जी बाबा बंदा सिंह बहादुर जिन का पूर्व नाम भाई माधो दास था वह अपनी कुटिया में ध्यान लगाए बैठे थे और उनके कुछ श्रद्धालु भी उनके आगे ध्यान समस्त बैठे थे
तो उनका एक श्रद्धालु भाग कर उनके पास आया और कहने लगा कि महंत जी हमारे डेरे पर कोई आया है जिसने हमारी डेरे की मर्यादा को भंग कर दिया है उसने हमारे डेरे में यहां पर खाना बनता है वहां पर बकरा पकाया है और वह आपके पलंग पर बैठ गया है जहां आप विराजमान होते हैं तो उनमें से एक श्रद्धालु उठ कर बोला कि इतनी हिम्मत किसने की है जिसने भी ऐसा किया है उसे इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा और कहने लगा की बाबाजी उसे पलंग पर से गिरा के नीचे पटको और उसके बाद जाकर उससे उसका परिचय पूछना तो भाई माधो दास कहने लगे कि उससे पूछूंगा नहीं उसे ऐसे ही पलंग पर बैठे बैठे मैं यहां लेकर आऊंगा अपनी शक्तियों के साथ उसे पलंग समेत यहां अपने सामने लेकर आऊंगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और माधो दास जी को एक आवाज सुनाई दी जिस ने कहा कि " हे माधो दास अंधकार के अंधेरे से निकलकर सच्चाई के अकाश में जा " तो यह वचन सुनकर माधो दास ने अपने सेवकों से पूछा क्या जो मैंने सुना वह तुम्हें भी सुनाई दिया तो वह कहने लगे नहीं महंत जी हमें तो कुछ भी सुनाई नहीं दिया और उसके बाद फिर आवाज सुनाई दी कि हे माधो दास परमात्मा की आवाज केवल आत्मा ही सुन सकती है और आत्मा की आवाज केवल परमात्मा ही सुन सकता है केवल मंत्र के साथ मन को शांति नहीं मिलती मन को टिका करके रखना भी जरूरी है आज तेरे सभी मंत्र तेरे काम नहीं आए तो यह सुनकर माधो दास सोचने लगे कि मेरे डेरे में पहुंचने वाला कोई आम व्यक्ति नहीं है तो जब भाई माधो दास अपनी कुटिया में पहुंचा तो उसने देखा कि सतगुरु महाराज जी उसके पलंग पर विराजमान है और चार सिंह सतगुरु के पीछे सजे खड़े हैं तो जब उसकी मुलाकात सतगुरु महाराज जी से हुई तो उनमें से एक सिंह ने कहा कि माधो दास तूं यही सोच रहा है ना कि हमने तेरी कुटिया की मर्यादा भंग कर दी तो यह सुन कर भाई माधो दास कहने लगे कि माफ करना महाराज मेरे स्थान पर निर्दोष जीवो की हत्या हुई है और अब यहां की मिट्टी उनके रक्त से लाल है और अब मैं यहां पर ध्यान नहीं लगा सकता तो यह सुनकर गुरु साहब बोले कि यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा कि बाहर मुगल निर्दोष जीवो को बकरों की तरह हलाल कर रहे हैं ऐसा कौन सा मंत्र है जो इस हो रहे अत्याचार पर तेरा ध्यान नहीं जाने देता, रजूरी का रहने वाला है तू, तभी सतलुज रावी व्यास जमुना गंगा नर्मदा नदिया पार करके गोदावरी के पास अपना डेरा डाला है इसलिए मेरी बात मान एक बार फिर अपना सफर शुरू कर, रास्ते में तुझे एक गरीब, किसान और रोते हुए दिखाई मिलेंगे उनसे उनका हाल पूछना उनकी मुस्कुराहट के पीछे बैठा परमात्मा तेरी राह देख रहा है तो ये वचन सुनकर भाई माधो दास कहने लगे कि हे अंतर्यामी आप कौन है तो गुरु साहब ने कहा कि वही जिसे तू जानता है तो भाई माधो दास ने हाथ जोड़ लिए और सतगुरु कहने लगे कि ऐसे नहीं माधो दास अंतर की आंखों से देख तो भाई माधो दास अंतर्ध्यान हो गए तब उन्हें मालूम हुआ और वह कहने लगे कि आप तो साक्षात गुरु गोविंद सिंह जी हो तो वहां मौजूद गुरुजी का एक सिंह बोला कि हां माधो दास जैसे ही गुरु साहिब को तेरे बारे में पता चला तो गुरु साहब तुरंत तेरे डेरे चले आए तो भाई माधो दास ने कहा कि मेरे अहो भाग्य तो गुरु साहब ने कहा कि अपने भागों को और जगा, तुम कर्मवीर हो और जिस कर्म के लिए तूं इस धरती पर आया है उसकी कमान संभाल तेरा स्वभाव तो शिकारियों वाला है जालिमों के सताए हुए वह मासूम लोग उतने ही बेकसूर हैं जितने तेरे तीर से मरे हुए वह हिरनी के दो बच्चे जिन्होंने पैदा होने से पहले ही तेरे सामने दम तोड़ दिया था, जिनको तू तड़पता हुआ नहीं देख पाया और तूने शिकार करना बंद कर दिया पहले तुमने तीर तोड़े थे और फिर अपनी कमान भी फेंक दी उस पीड़ा ने तुझे लक्ष्मण देव से माधो दास बना दिया तो गुरु साहब के यह वचन सुनकर भाई माधो दास भावुक हो गए और कहने लगे कि हे अंतर्यामी मैं, तो गुरु साहब ने कहा कि हां हां माधो दास तुम कौन हो तो भाई माधो दास ने कहा कि मैं आपका बंदा और भाई माधो दास जी कहने लगे कि वह कौन पापी है जिन्होंने बेकसूर लोगों का खून बहा दिया तो ये सुनकर एक सिंह ने कहा की क्या सजा दोगे उनको तंत्र मंत्र से उनका मंजा पलट कर तो यह सुनकर भाई माधो दास जी कहने लगे कि तंत्र मंत्र वाले माधो दास की मौत तो आप के दर्शन करने से ही हो गई थी "बाजा वाले साईंयां" अब आपके सामने आपका बंदा है अब आप अपने बंदे को ऐसा सिंह बनाओ कि जिस की तलवार किसी बेगुनाह पर न उठे और किसी पापी को बक्शे ना तो ये सुनकर गुरु साहब बोले कि तुझे ऐसा बहादुर सिपाही बनाएंगे जो इंसानियत के दुश्मनों को लोहे के चने चबा देगा तुम्हे हम गरीबों और मुगलों की सताई जनता का सहाई खालसा बनाएंगे इस प्रकार भाई माधो दास बंदा सिंह बहादुर बन गए गुरु के सिख बन गए गुरु भटके हुए लोगों को सही राह दिखाने के लिए सही स्थान सही वक्त और सही माध्यम चुनते हैं यहां पर भी सतगुरु ने भाई माधो दास के डेरे पर मांस पका कर उसकी सोई हुई अंतरात्मा को जगाया गुरुजी ने भाई माधो दास को बताया कि किस तरह मुगल इंसानों को बकरे की तरह हलाल कर रहे हैं और तुम अपने ही अभिमान में जी रहे हो तो यहां पर बहुत से लोग कहेंगे कि गुरु साहब ने मांस क्यों बनवाया ऐसा क्यों दिखाया गया परंतु अपने गुरु की बातों पर कभी किंतु परंतु नहीं लगाना चाहिए जो गुरु का सिंह है वह कभी अपने गुरु पर किंतु और परंतु नहीं लगाता ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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