Guru Nanak Sakhi । जब साई अल्लाह दाता ने गुरु नानक देव जी को अपने पैरी पड़ने के लिऐ बोला !

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी महाराज जी की है जब सतगुरु की मुलाकात साईं खरबूजा शाह जी से हुई और साईं जी ने जब सतगुरु नानक को खरबूजा खिलाकर वापस मांगा तो क्या हुआ आईए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग श्रवण करते हैं ।

धर्म इंसान को अकालपुरख प्रभु से जोड़ता है उसको जीवन के सही उद्देश बारे जागृत करता है तो उसको अकालपुरख प्रभु बारे अपने आप बारे और अकालपुरख की बनाई हुई इस कायनात बारे उसके फार्जो से भी सूचेत करता है संसार में जब अज्ञानता और जुल्म का बड़ावा हुआ तो लुकाई को सही सेहत देने के लिए अकालपुरख के बनाए खास पुरुष इस संसार में समय-समय अवतार धारते रहे धर्मी, रहबर, पैगंबर रब की खुशी प्राप्त करने के लिए अच्छे इंसान बनने की राह दरसाते  हैं और इंसान को अच्छा बनने का उपदेश करते हैं और उसकी बनाई हुई कायनात के साथ प्यार करने की शिक्षा देते हैं उनका उपदेश सभी के लिए साझा होता है धर्म में धीरे-धीरे कर्मकांड प्रधान हो जाते हैं और पुजारी वर्ग कर्मकांडो की तरफ ज्यादा जोर पाते है जिसके साथ असल धर्म के उदेश से आम प्राणी भटक जाता है धर्मी होने के लिए आदमी को अंतर्मुखी होना पड़ता है कर्मकांड बाहरी दिखावे होते हैं धर्मी पुरुष हर एक के साथ प्यार करते हैं तो मनुखता की सेवा करते हैं श्री गुरु नानक देव जी को भी संसार में अकालपुरख ने अज्ञानता के अंधेरे के खात्मे के लिए और दबी कुचली लुकाई को ऊपर चुकने के लिए इस संसार में भेजा था जब श्री गुरु नानक देव जी सुल्तानपुर लोधी में आए तो उस समय एक पीर साईं अल्लाह दाता जिसको खरबूजे शाह भी कहते हैं वेई नदी के किनारे जहां पर आजकल गुरुद्वारा श्री बेर साहिब है वहां रहता था इस पीर का नाम खरबूजे शाह इसलिए पड़ा था कि वो आए साध  फकीर को एक खरबूजा भेट किया करता था जब फ़कीर खरबूजा खा लेता तो उसको कहता कि मेरा खरबूजा दो खरबूज खाने वाला फकीर कहता की खाया हुआ खरबूजा मैं कैसे पैदा कर सकता हूं तो उस फ़कीर ने कहना मेरे पैरी पड़ जाओ तो इस तरह अपनी इंन मनाता था इस तरह वो आए हुए फकीरों को अपने आगे झुकने के लिए मजबूर कर देता था एक दिन श्री गुरु नानक देव जी भी खरबूजे शाह के पास जा बैठे खरबूजे शाह ने गुरुजी को एक खरबूजा भेट किया गुरुजी ने खरबूजा चीर कर और संगत में वरताने से पहले पीर खरबूजे शाह को भी दो फाड़िया दी और आप भी सेवन किया जब खरबूजा खाया जा चुका था तो साईं ने गुरुजी को कहा कि मेरा खरबूजा दो गुरुजी ने जवाब दिया कि खरबूजा सभी ने सेवन कर लिया है अब तुम्हें खरबूजा कहां से दें साईं जी ने कहा तो फिर मेरे पैरी पड़ जाओ श्री गुरु नानक देव जी ने देखा कि साईं के मन में हंकार भरा हुआ है उन्होंने साईं जी को कहा कि तुम पहले अपनी खाई हुई 2 फाडिया पूरियां कर दो तो मैं तुम्हें मुर्शिद मान लूंगा और बाकी का खरबूजा भी पैदा कर देंगे यह सवाल सुनकर साईं को बहुत गुस्सा आया क्योंकि ऐसा सवाल पहले किसी ने नहीं किया था गुरुजी ने साईं को कहा कि पहले वेई नदी में इशनान करके मन निर्मल कर आओ फिर तुम्हारा खरबूजा साबित कर देंगे जब खरबूजे शाह ने वेई नदी में चुभी मारी तो उसको वेई खरबूजो से भरी नजर आई यह कोतक देखकर वो परत आया तो आकर गुरुजी को कहा कि उनमें मेरा खरबूजा नहीं है गुरुजी ने कहा की साईं जी दूसरी बार वेई में अपना खरबूजा देखो तो खरबूजे शाह 2 फाड़िया कम वाला खरबूजा उठाकर ले आया साईं ने कहा इसमें दो फाड़िया कम है गुरुजी ने वचन किया जो संगत ने और हमने खाया था वो हमने पूरा कर दिया है बाकी 2 फाड़िया जो तुमने खाई थी वो तुम पूरी करो यह देखकर खरबूजे शाह अपना आसन छोड़ कर उठ बैठा और गुरु जी के चरणी लगकर कहा मैंने अंत पा लिया है उस दिन से वो पीर गुरुजी का श्रद्धालु बन गया गुरु साहिब ने उसको करामातो का राह छोड़कर अकालपुरख की बंदगी करने का और लोड बंदों की सेवा करने का उपदेश दिया गुरुजी जब सुबह नदी में स्नान करने के लिए जाते थे तो वो साईं गुरुजी का चोला हाथों के ऊपर रखकर खड़ा रहता था सत्कार भावना के साथ वो हाथों को अगाह फैला कर रखता था ताकि चोला शरीर को छूकर गंदा ना हो जाए खरबूजे शाह गुरु नानक देव जी का इतना श्रद्धालु हो गया कि एक दिन कहने लगा कि मेरे में अब मेहमान की सेवा करने की हिम्मत नहीं रही मेरा घर तुम्हारा हुआ श्री गुरु नानक देव जी ने कहा ना मेरा ना तुम्हारा सारे घर बेघरों के हैं गुरुजी के उदासी और रवाना होने से पहले खरबूजे शाह मिलाप करते कहने लगे आप जी के दर्शनों बगैर जीवित रहना मुश्किल होगा गुरु जी ने बेरी की दातुन जमीन में गाड़ कर वचन किया कि हमारे दर्शन इस बेरी में से कर लिया करना साईं ने पूछा कि जेकर यह बेरी हड़ या दुर्घटना करके टूट गई तो गुरु जी ने वचन दिया कि यह बेरी हमेशा कायम रहेगी कोई हड़, तूफान इसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकेंगे साध संगत जी यह बेरी अभी तक फल देती है इसी तरह सैयद अहमद तकी लाहौर में रहता था वो सिकंदर लोदी का पीर था जेयह बहुत जिद्दी और कट्टड ख्याली था सिकंदर भी इसके कहे अनुसार ही चलता था सिकंदर लोदी के जुल्मों में उसका भी हाथ था कबीर जी को जंजीर से बांधकर दरिया गंगा में इसने ही फेंका था श्री गुरु नानक देव जी के लाहौर आने की खबर सुनकर सैयद तकी मुलानो को लेकर चर्चा करने आया सैयद अहमद तकी ने अपनी करामातों के साथ गुरु जी को नीचा दिखाने का जतन किया गुरुजी अडोल प्रसन्न चित्त मुस्कुराते रहे अपनी करामातों का असर ना हुआ देखकर सैयद तकी ने बातचीत शुरू की गुरु नानक देव जी ने जब एक अल्लाह और उसकी खलक की बात कही तो वह झुक गया गुरुजी ने श्रा का जाल तोड़ने के लिए कहा और हर प्राणी के साथ प्यार करने का उपदेश दिया सैयद तकी गुरुजी के उपदेश से बहुत प्रभावित हुआ, आगे से तंगदिली, नफरत और जुलम का राह छोड़कर लोगों की सेवा करने का और सीधे राह पैने का वचन गुरु जी को दिया जितनी देर गुरु जी लाहौर रहे सैयद तकी लगातार हाजिरी भरता रहा सैकड़े लाहौरी लोग गुरु जी के सेवक बन गए, पीर सैयद तकी की कबर उच्च गांव में है इसी तरह पशरूर में मशहूर मियां मीठा नाम का एक पूज्या हुआ फ़कीर रहता था कहते हैं फकीर शकरगंज और मियां मीठा ने जिस मिठास से इस्लाम प्रचारा था वो और किसी के हाथ में नहीं आया गुरुजी की पशरूर फेरी के दौरान मियां मीठा जी के साथ मुलाकात हुई मियां मीठा जी ने गुरुजी के साथ कई सवाल जवाब किए इस्लाम धर्म के असूल एक अल्लाह और एक रसूल बारे गुरुजी का दृष्टिकोण पूछा मियां मीठा ने गुरु जी को अपने सिद्धांत की व्याख्या करते हुए कहा "पहला ना खुदाए का दूसरा ना रसूल नानक कलमें ये पड़े तो दर गए पए कबूल" श्री गुरु नानक देव जी ने मुड़वा उत्तर देते हुए फरमाया मियां मीठा यह तो सच है कि पहला नाम खुदाए का है पर दूसरा नाम रसूल नहीं है उसके दर पर कई रसूल खड़े हैं उसकी दरगाह में कबूल होने के लिए कलमे नहीं नियत रास करने की जरूरत है पहले नाम खुदा का दर दरवान रसूल शेखा नियत रास कर तो दर गए पए कबूल" मियां जी ने गुरुजी से सच का राह पूछा तो गुरु जी ने वचन किया भाई अकालपुरख अल्लाह तो हमारे अंग संग है उसको बाहर कहां से ढूंढना है वो सच को जान लेने के साथ हर जगह नजर आता है तो प्यार के साथ उसको पा लेना चाहिए सच्चे पातशाह श्री गुरु नानक देव जी के वचन सुनकर मियां जी गुरु जी के उपाषक हो गए इस तरह श्री गुरु नानक देव जी ने सच के चानन के साथ समाज मे से अज्ञानता का अधेरा दूर किया और अपनी निर्भेता और निर्वैरता के साथ दबी कुचली जनता को जीवन जीने की जांच सिखाई ।

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By Sant Vachan


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