अकाल पुरख एक है और सतिगुरू की कृपा द्वारा मिलता है। हे भाई! (वाद-विवाद की खातिर) वेदों-कतेबों के हवाले दे-दे कर ज्यादा बातें करने से (मनुष्य के अपने)दिल का सहम दूर नहीं होता। (हे भाई!) अगर तुम अपने मन को पलक भर के लिए ही टिकाओ, तो तुम्हें सब में ही बसता ईश्वर दिखेगा ।
(किसी के विरुद्ध तर्क करने की आवश्यक्ता नहीं पड़ेगी)।1।हे भाई! (अपने ही) दिल को हर वक्त खोज, (बहस मुबाहसे की) घबराहट में ना भटक। ये जगत एक जादू सा है, एक तमाशे जैसा है, (इसमें से इस व्यर्थ के वाद-विवाद से) हाथ-पल्ले पड़ने वाली कोई चीज़ नहीं।1। रहाउ।बेसमझ लोग ( दूसरे मतों की धर्म-पुस्तकों के बारे में ये) पढ़-पढ़ के (कि इनमें जो लिखा है) झूठ (है), खुश हो-हो के बहस करते हैं। (पर, वे ये नहीं जानते कि) सदा कायम रहने वाला ईश्वर ख़लकत में (भी) बसता है, (ना वह अलग सातवें आसमान पर बैठा है और) ना ही वह परमात्मा कृष्ण की मूर्ति है।2।(सातवें आसमान में बैठा समझने की जगह, हे भाई!) वह प्रभू-रूप दरिया व अंतहकर्ण में लहरें मार रहा है, तूने उसमें स्नान करना था। सो, हमेशा उसकी बँदगी कर, (ये भक्ति की) ऐनक लगा (के देख), वह हर जगह मौजूद है।3।ईश्वर सब से पवित्र (हस्ती) है (उससे पवित्र और कोई नहीं है), इस बात पर मैं तब ही शक करूँ, अगर उस ईश्वर जैसा दूसरा और कोई हो। कबीर जी कहते हैं, हे कबीर! (इस भेद को) वह मनुष्य ही समझ सकता है जिसको वह समझने के काबिल बनाए। और, ये बख्शिश उस बख्शिश करने वाले के अपने हाथ में है।4।1।
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