अर्थ: हे प्रभु! कृपा कर की मैं तेरा नाम सुमिरन कर सकूँ । तूने सारी सृष्टि आप ही पैदा की है और आप ही सब जीवों में व्यापक है।
तूं आप ही सब जीवों में समाया हुआ है, पैदा कर के तुने आप ही सारी सृष्टि को माया की दौड़-भाग में लगाया हुआ है। कई जीवों को तुने आप ही राजा बना दिया है, और कई जीवों को (भिखारी बना कर) भीख मांगने के लिए (दर दर) घुमा रहा है। हे प्रभु! तूंने लोभ और मोह को मीठा बना दिया है, जगत इस भटकन में आ कर कुराहे (बुरे राह) पर चल रहा है। अगर तूं सदा अपनी कृपा करता रहे तो ही में तेरा नाम सुमिरन कर सकता हूँ॥१॥
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