आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

सलोकु मः ३ ॥  गुरमुखि सेव न कीनीआ हरि नामि न लगो पिआरु ॥  सबदै सादु न आइओ मरि जनमै वारो वार ॥  मनमुखि अंधु न चेतई कितु आइआ सैसारि ॥  नानक जिन कउ नदरि करे से गुरमुखि लंघे पारि ॥१॥

जिस ने सतगुरु के संमुख हो कर न सेवा की, न परमात्मा के नाम में उस का प्यार ही लगा, शब्द में रस भी न आया, तो वह बार बार जन्म मरन में रहता है। अगर अँधा मनुख हरी को याद नहीं करता तो संसार में आने का क्या लाभ? गुरु नानक जी स्वयं को कहते हैं, हे नानक! जिन मनुखों पर वह मेहर की नजर करता है, वह सतगुरु के संमुख हो कर (संसार सागर से) पार उतरते हैं॥१॥ 

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