आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मुंध नवेलड़ीआ गोइलि आई राम ॥ मटुकी डारि धरी हरि लिव लाई राम ॥ लिव लाइ हरि सिउ रही गोइलि सहजि सबदि सीगारीआ ॥ कर जोड़ि गुर पहि करि बिनंती मिलहु साचि पिआरीआ ॥ धन भाइ भगती देखि प्रीतम काम क्रोधु निवारिआ ॥ नानक मुंध नवेल सुंदरि देखि पिरु साधारिआ ॥१॥ सचि नवेलड़ीए जोबनि बाली राम ॥  आउ न जाउ कही अपने सह नाली राम ॥

राग बिलावल में गुरु नानक देव जी की वाणी। शंत दखनी। अकाल एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। थोड़े दिनों के वसावे वाले इस जगत में आकर जो जीव स्त्री विकारों से बची रहती है, जिसने परमात्मा के चरणों में अपने सुरत जोड़ी हुई होती है, और शरीर का मोह त्याग देती है। जो प्रभु चरणों में प्रीत जोड़कर इस जगत में जीवन व्यतीत करती है। वह आत्मिक अडोलता में रहकर सतगुरु के शब्द की बरकत के साथ अपना जीवन सुंदर बना लेती है। वह सदा दोनों हाथ जोड़कर गुरु के पास विनती करती रहती है, कि हे गुरू मुझे मिल ताकि मैं तेरी कृपा से सदा थीर प्रभु के नाम में जुड़ कर उसको प्यार कर सकूं। ऐसी जीव स्त्री प्रीतम प्रभु की भक्ति के द्वारा प्रीतम प्रभु के प्रेम में रहकर, टिक् कर, उसका दर्शन करके काम क्रोध आदि विकारों को अपने अंदर से दूर कर लेती है।१।

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