Guru Nanak Sakhi । कौन सा पाठ हमे टोना-टोटका और बुरी नज़र से बचाता है ?

 

साध संगत जी आज की साखी है कि कौन सा पाठ करने से बुरी बला भूत प्रेत आदि चीजों से जीव की रक्षा होती है तो उसके बारे में सतगुरु जी क्या फरमान करते हैं आइए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का ये प्रसंग श्रवण करते हैं ।

साध संगत जी सतगुरु अर्जुन देव जी महाराज रामसर साहिब वाले स्थान पर विराजमान होकर भाई गुरदास जी की तरफ से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी लिखवा रहे थे तो उस समय एक बंजारे सिख ने सतगुरु के पास आकर विनती की कि हे सतगुरु महाराज जी मैं देशों विदेशों की सैर करता रहता हूं तो कृपया करके मुझे ऐसा पाठ बक्शीश करें जिससे कि चोरों से भूतों से और प्रेतों से और बुरी बलाओं से मैं बचा रहा हूं और मेरे तन मन और धन की रक्षा हो सके उस समय सतगुरु जी सोहेले के शब्द लिखवा रहे थे उस समय 3 शब्द सतगुरु नानक देव जी महाराज के " जय भए कीरत आखिये छे घर छे गुर छे उपदेश गगन में थाल" यह लिखे जा चुके थे फिर सतगुरु जी ने चौथा शब्द अपने पिता गुरु रामदास जी वाला काम क्रोध नगर बाहो भरया और पांचवा शब्द करो विनती सुनो मेरे मीता और यह पांचों शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में लिखे और उस बंजारे सिख को और संगत को संबोधन करके कहा की चार शब्द रखिया के बता रहे हैं इनका पाठ करा करो सोरठ मोहल्ला पांचवा गुरु का शब्द रखवारे चौकी चाय गिर्द हमारे दूसरा ताती वाओ ना लग्ई पारब्रह्म सरनाई तीसरा श्लोक जय साधु गोविंद भजन कीर्तन नानक नीत और चौथा मन में चिंतवो चिंतवनी उधम करो उठ नीत जो भी सिख इन 5 शब्दों वाली कीर्तन सोहेला वाणी का पाठ सोने के समय करेगा उसके तन मन और धन की रखिया गुरु करेगा उसके बाद सीख इन 5 शब्दों वाली वाणी का पाठ करने लगे वह बंजारा सिख सतगुरु से आज्ञा लेकर अपना व्यापार करने के लिए चला गया और वह हर रोज कीर्तन सोहिला वाणी का पाठ करके सो जाया करें और कोई भी उसका नुकसान ना कर सके तो 1 दिन वह बहुत थका हुआ था और वह लेटा लेटा ही वाणी का पाठ करने लगा और उसे नींद आ गई और उस दिन चोरों का दाव लग गया तो उन चोरों ने उसके घोड़े खोल लिए और जब वह चलने लगे और तब इस सिख को जाग आ गई तो उसने उस समय ही सोहेले का पूर्ण पाठ किया और वह मुकम्मल हो गया तो जिसके कारण चोर बाहर ना जा सके और चोरों ने उसको बड़ा शक्तिमान जानकर उससे इसके बारे में पूछा तो सिख ने बताया कि हे भाई मैं हर रोज गुरु के उपदेश के अनुसार सोते समय कीर्तन सोहिला का पाठ करके सोता हूं और जो भी सिख हर रोज रात को कीर्तन सोहिला का पाठ करके सोएगा उसके तन मन और धन की रखिया सतगुरु जी इसी तरह आप करते हैं कीर्तन सोहिला का पाठ हर रोज सोते समय सभी विकारों को वश में करके मन को एकत्रित करके करना है जैसे कि कोई बुरी बला ना आए और ना ही कोई नुकसान कर सके इन चार शब्दों को पढ़ने की रीत परंपरा अनुसार है जिस प्रकार जप जी साहब सवेर की संध्या और रेहरास साहिब शाम की संध्या की बाणी है इसी तरह कीर्तन सोहिला रात को सोते समय की वाणी है सतगुरु नानक देव जी महाराज जी ने पहले 3 शब्द विचार कर इस वाणी को पढ़ने की हिदायत सिखों को कर दी थी तब से सिख संगते वाणी का पाठ करते आ रही हैं तो 1 दिन सतगुरु नानक देव जी महाराज रवि के किनारे श्री करतारपुर साहिब में विराजमान थे और भाई लहना जी सतगुरु के चरणों में उनकी सेवा कर रहे थे तो चरण दबाते हुए भाई लहना जी के हाथों में खून लग गया और उन्होंने लगी हुई चरिटे देखी तो ये देखकर पहले भाई लहना जी बहुत डर गए और विनती करके सतगुरु महाराज जी से इस खून के निकलने का कारण पूछा कि महाराज जी आप तो कहीं भी बाहर नहीं गए तो फिर ये कांटे आपके चरणों में कैसे लग गए और यह खून कैसे निकलने लग गया तो भाई लहना जी के इस प्रश्न का जवाब देते हुए सतगुरु ने बताया की जंगलों में एक आजाडी बकरियों को चार रहा है और वह बकरियों को चराता हुआ बड़े प्रेम सहित कीर्तन सोहिला का पाठ कर रहा है और सतगुरु जी कहने लगे कि हमारा यह धर्म है कि जहां कहीं भी कोई प्रेम निष्ठा के साथ कीर्तन सोहिला का पाठ कर रहा है हम उसके तन मन और धन की राखी करते हैं हम उस आदमी के पीछे पीछे चल रहे थे जिसके कारण कांटे लग गए जिसके कारण खून निकलने लग गया और फिर सतगुरु जी ने उस आजाडी को बुलाकर समझाया कि भाई कीर्तन सोहिला का पाठ दिन के समय नहीं करना बल्कि रात को सोने के समय करना है जो भी गुरु का प्यारा रात को सोने के समय कीर्तन सोहिला का पाठ करेगा हम उस के रखवाले होंगे उसको रात के समय बुरे सपने नहीं आएंगे, दबाव नहीं होगा और जम परेशान नहीं करेंगे और कोई भी ताकत परेशान नहीं कर सकेगी और अंत समय मुक्त होगा इस तरह बचन कहकर सतगुरु जी ने सिखों को रात को कीर्तन सोहिला का पाठ करने की हिदायत दी और वचन किए कृपा दृष्टि को देख गोसाई तेह आजाद को गिरा आ लाई " सौवन समय बखानिये कंठ सोहेला जोए अधिक खुशी बोहरों करी द्वेत रिधे ते खोए ।

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By Sant Vachan






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