गुरु अंतरजामी है, गुरु ही अकाल पुरख का रुप है उससे कुछ भी छिपा हुआ नही है
वह उस अकाल पुरख के हुक्म से ही इस धरती पर आता है और जीवात्माओं का उद्धार करता है, जो जीवात्मा उसके हुक्म पर चलती है उसके बताए हुए मार्ग पर चलती है उसका इस संसार से उद्धार हो जाता है वह भवसागर से पार हो जाती है।
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