आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

सूही महला ४ घरु ७  ੴ सतिगुर प्रसादि ॥  तेरे कवन कवन गुण कहि कहि गावा तू साहिब गुणी निधाना ॥  तुमरी महिमा बरनि न साकउ तूं ठाकुर ऊच भगवाना ॥१॥  मै हरि हरि नामु धर सोई ॥  जिउ भावै तिउ राखु मेरे साहिब मै तुझ बिनु अवरु न कोई ॥१॥ रहाउ ॥  मै ताणु दीबाणु तूहै मेरे सुआमी मै तुधु आगै अरदासि ॥ 

राग सूही, घर ७ में गुरु रामदास जी की बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा से मिलता है। में तेरे कौन कौन  से गुण बता कर तेरी सिफत -सलाह कर सकता हूँ ? तूँ सारे गुणों का खजाना है, तूँ सुब का मालिक है । हे सुबसे ऊचे भगवान! तूँ सुब का पालन करने वाला है । में तेरी बढाई बियान नहीं कर सकता  ॥੧॥ हे हरी! मेरे लिए तेरा वह नाम ही सहारा है। हे मेरे मालिक! जैसे तुझे अच्छा लगे उसी प्रकार मेरी रक्षा कर। तेरे बिना मेरा और कोई सहारा नहीं है॥१॥रहाउ॥ हे मेरे मालिक! तूँ ही मेरे लिए बल है, तूँ ही मेरे लिए सहारा है। मैं तेरे आगे ही बेनती कर सकता हूँ। मेरे लिए कोई ऐसी जगह नहीं, जिस पास मैं बेनती कर सकूँ। मैं अपना हर एक सुख हरेक दुःख तेरे पास ही पेश कर सकता हूँ॥२॥ हे मेरे मन! देख, (पानी के) बीच ही धरती है, (धरती के) बीच ही पानी है, लकड़ी मैं आग राखी हुई है, (मालिक प्रभु ने, मानो) शेर और बकरी एक जगह रखे हुए हैं। हे मन! (तूँ क्यों डरता है? ऐसी शक्ति वाले) परमात्मा का नाम जप कर तूँ अपने हरेक  डर भ्रम दूर कर लिया कर॥३॥ हे संत जनों! देखो परमात्मा की बड़ी ताकत! परमात्मा उनको आदर दिलाता है, जिनकी कोई इज्ज़त नहीं करता था। गुरू नानक जी कहते हैं,  हे नानक! जैसे धरती (मनुख के) पैरों के निचे से (मौत आने पर) उस के उप्पर आ जाती है, उसी प्रकार परमात्मा सारे जगत को ला कर साध जनों के चरणों में डाल देता है॥४॥१॥

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