आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

सतिगुर मिलिऐ उलटी भई भाई जीवत मरै ता बूझ पाए ॥ सो गुरू सो सिखु है भाई जिसु जोती जोति मिलाए ॥१॥ मन रे हरि हरि सेती लिव लाए ॥ मन हरि जपि मीठा लागै भाई गुरमुखि पाए हरि थाए ॥ रहाउ ॥ बिनु गुर प्रीति न ऊपजै भाई मनमुखि दूजै भाए ॥ तुह कुटहि मनमुख करम करहि भाई पलै किछू न पाए ॥२॥ गुर मिलिऐ नामु मनि रविआ भाई साची प्रीति पिआरि ॥ सदा हरि के गुण रवै भाई गुर कै हेति अपारि ॥३॥ आइआ सो परवाणु है भाई जि गुर सेवा चितु लाए ॥ नानक नामु हरि पाईऐ भाई गुर सबदी मेलाए ॥४॥८॥

अर्थ: हे मन! सदा परमात्मा के साथ सुरति जोड़े रख। हे मन! बार बार जप-जप के परमात्मा प्यारा लगने लग जाता है। हे भाई! गुरू की शरण पड़ने वाले मनुष्य प्रभू के दरबार में स्थान पा लेते हैं। रहाउ।  हे भाई! अगर गुरू मिल जाए, तो मनुष्य आत्मिक जीवन की समझ हासिल कर लेता है, मनुष्य की सुरति विकारों से हट जाती है, दुनिया के कार्य-व्यवहार करता हुआ भी मनुष्य विकारों से अछूता हो जाता है। हे भाई! जिस मनुष्य की आत्मा को गुरू परमात्मा में मिला देता है, वह (असल) में सिख बन जाता है।1।हे भाई! गुरू के बिना (मनुष्य का प्रभू में) प्यार पैदा नहीं होता, अपने मन के पीछे चलने वाले मनुष्य (प्रभू को छोड़ के) और ही प्यार में टिके रहते हैं। हे भाई! अपने मन के पीछे चलने वाले मनुष्य (जो भी धार्मिक) काम करते हैं वह (जैसे) फॅक ही कूटते हैं, (उनको, उन कर्मों में से) कुछ हासिल नहीं होता (जैसे फोक में से कुछ नहीं निकलता)।2। हे भाई! यदि गुरू मिल जाए, तो परमात्मा का नाम उसके मन में सदा बसा रहता है, मनुष्य सदा-स्थिर प्रभू की प्रीति में प्यार में मगन रहता है। हे भाई! गुरू से प्राप्त  अटूट प्यार की बरकति से वह सदा परमात्मा के गुण गाता रहता है।3।हे भाई! जो मनुष्य गुरू की बताई हुई सेवा में मन जोड़ता है उसका जगत में आया हुआ सफल हो जाता है। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! गुरू के माध्यम से परमात्मा का नाम प्राप्त हो जाता है, गुरू के शबद की बरकति से प्रभू से मिलाप हो जाता है।4।8।

ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।


Post a Comment

0 Comments