साध संगत जी 1526 को कतक पूर्णमाशी के दिन धन धन श्री गुरु नानक देव जी ने अवतार धारण किया जिस मनुख पे सतगुरु जी की कृपा हो जाती है उस के जन्म मरन के सारे बंधन कट जाते है धन श्री गुरु नानक देव जी सभी की मनो कामनाएं पूरी करते है
साध संगत जी एक दिन पूर्ण सतगुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज शिकार खेलने के लिये जंगल गए वहां अनेकों जीवों को मार के गुरु जी ने उनका उधार किया सब मरे हुए जीवों ने मानव देह प्राप्त की यह वडियाई पूर्ण सदगुरु जी की है मरे हुए जीवों की देह सतगुरु जी सिखों से उठा के अपने साथ ले गए और एक अंधे कुएं पर गुरु जी ने डेरा ला लिया दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को श्री गुरु नानक देव जी के अवतार धारण का प्रसंग सुनाया, 160 कोहा पर पहुंच कर अचल नगर श्री हजूर साहब में गुरु जी ने बसेरा किया पश्चिम दिशा तरफ़ पहुंच के सतगुरु जी वहां विराजमान हुए भाई दया सिंह जी ने सतगुरु जी से पूर्ण माछी के फल के बारे में पूछा, अविनाशी सतगुरु जी श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पूर्ण माशी वाले दिन सिमरन करने और सेवा करने की मर्यादा समझा कर सारी संगत को निहाल किया और कहा हे सिखो श्री गुरु नानक देव जी का गुरु पुर्व मना कर सभी मनोरथ पूरे होते हैं अपने सतगुरु के आगे नतमस्तक होकर समूह कुल्हों का उधार करो सतगुरु जी ने सब सिखों को कहा के आज वह महान दिन है श्री गुरु नानक देव जी को अपने मन में धारण कर इस कुएं में से जल निकालो कतक का महीना पवित्र है इस कतक के महीने की पूर्ण माशी वाले दिन सूरज वंश में श्री गुरु नानक देव जी ने अवतार धारण किया था जो इस शुभ दिन सिमरन और भगति करता है उसको सभी पदार्थ प्राप्त होते हैं उस सिख के सारे मनोरथ सिद्ध हो जाते है और उसका जन्म मरन कट जाता है श्री गुरु महाराज ने तंबू की चारों तरफ़ किनाता लगा कर इस कुएं पर अपना डेरा ला लिया उस समय दो तुर्का ने आकर सतगुरु जी के आगे बेनती की कि हे महाराज इस कुएं का पानी तो बहुत गंदा है इस गंदे पानी के साथ कौन सा काम होगा श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा हे प्यारों ! सतगुरु नानक देव जी सहायी होंगे जब सतगुरु जी ने यह बचन किए तो पानी कुएं से बाहर आकर बहने लग गया यह देखकर सिखों ने गुरु जी को कहा कि महाराज जी इस पानी से सभी तंबू किनाता भीग गई है सिखों के बचन सुन के सतगुरु जी ने कहा के गुर सिखो श्री गुरु नानक देव जी का ध्यान धारण करो पानी आगे नहीं आएगा इसी जगह ही ठहर जाएगा, प्रसाद तैयार करके उसका सेवन करो, पानी पीछे हट जाएगा सभी संगत ऐसा करो और धन श्री गुरु नानक देव जी का गुर पुर्व मनाओ सतगुरु जी के यह वचन सुन के फिर तर्कों ने कहा कि महाराज यहां रात को बड़े भयानक शेर आते है, सतगुरु जी ने उत्तर दिया कि हमे उन शेरों का पता है हम उन्हीं शेरों को मुक्त करने के लिये यहां आए है फिर तर्कों ने कहा कि गुरु जी कुएं का पानी तो गंदा है यह पिया नहीं जा सकता ये काम नहीं आ सकता, इस में अनेकों जीव कीड़े मकोड़े है शेरों के डर के कारण कोई भी मनुख इधर नहीं आता इसी कारण करके इसे अन्ना कुआं कहा जाता है इस कुएं के पानी से बहुत बदबू आती है तुर्कों की बातें सुनकर सतगुरु जी ने कहा कि यह अंधा कुआं, अब सुजाखा हो जाएगा सतगुरु जी की जिस पर कृपा हो जाती है उसको दिव्य देह मिलती है और वह बैकुंठ का अधिकारी हो जाता है सतगुरु जी की शरण आने वाला मनुख सुजाखा हो जाता है, तुर्कों ने कहा कि सतगुरु जी खुदाई दावा बांधते है हम देखना चाहते है कि ये जल कैसे शुद्ध करते हैं, यह तुर्कों के पीर है और हिंदुओं के अवतार है जब सतगुरु जी ने अपनी मेहर की नजर के साथ जल को शुद्ध और पवित्र कर दिया तो सब देखने वाले नर नारी बड़े आश्चर्य हो गए जिस तरह की गुरबाणी का वाक्य है "आपे ही प्रभ राखता भगतन की आन जो जो चित्वे साध जन सो लेता मान" यह शब्द जब सतगुरु जी ने पढ़ा और अकाल पुर्ख की अराधना की तो जल शुद्ध होकर कुएं से बाहर आ गया सतगुरु जी ने यह अचरज कौतक किया तो सब सिख सतगुरु जी का यह चमत्कार देख कर बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे कि हे सतगुरु जी आप जी की गति तुसी आप ही जानते हो सतगुरु जी ने जब अपने चरण जल के साथ छूहाए तब सतगुरु जी के चरण स्पर्श कर जल पीछे हो गया और नदी का रूप धार के वह जल आगे चल पड़ा तो सिखों ने कहा कि धन है सतगुरु जी, सतगुरु जी के आश्चर्य कौतक है सतगुरु जी के चरणों के साथ लग कर कुएं का जल दूर जाकर नदी बन कर चल पड़ा, कुआं अंधे से सुजाखा हो गया, त्रिग है उन पर जो सतगुरु जी का सिमरन नहीं करते यह बात ठीक समझो कि ऐसे मनुख मलेश की औलाद ही है जो मनुख अंधे से सुजाखा हो जाए वह फिर सतगुरु जी को क्यों नहीं सिमरता, सतगुरु जी ने जितनी किसी को माया बख्शी है उस अनुसार मनुख को दान पुन करना चाहिए, जिस मनुख ने मानस देही में आकर गुरु जी का सिमरन नहीं किया उनको अकल के अंधे जानो व कर्म धर्म करने से भागे हुए मनुष्य होते है, सिख होकर जो गुरु रीति नहीं करता उसको सिख ना समझो व पलीत मनुख है जो अपने गुरु से बेमुख है उन्हे निश्चय करके अंधे ही जानो अंधा मनुख उसको जानो जो गुरु जी की सेवा नहीं करता और अपना किया आप ही पाता है उस सिख को लोक और परलोक में भी टोही नहीं मिलती वह सिख गुरु का चोर है, प्यारों ! इस शरीर का क्या मान है जिसको इस संसार में ही छोड़ कर चले जाना है "कपड़ रूप सुहावना छड दुनिया अंदर जावना" मूर्ख मनुख की मत कच्ची ही है ऐसी वस्तु इस संसार में कौन सी है जो सदा कायम रहती है किस बात पर मूरख मनुख मान करता है सो साध संगत जी फिर सुजाखा कुआं कहता है कि मुझे आप जी के दर्शना की अभिलाषा थीं जिस दर्शन को ऋषि मुनि भी प्राप्त नहीं कर पाएं वो दर्शन मैने प्राप्त कर लिए है साध संगत जी कतक की पुण्या का बहुत बड़ा फल है इस दिन पूर्ण सतगुरु जी ने अवतार धारण किया था जो जो कौतक सतगुरु जी ने किए वह आप श्रवण करें वेदियों के वंश में सतगुरु श्री गुरु नानक देव जी ने शरीर धारण किया और शुभ कर्मों और सच्चे धर्म का संसार में विस्तार किया भगति और ज्ञान को मुखता दी पाखंड का नाश किया, सतगुरु जी की बाणी सत सरुप है सतगुरु जी परम पुरख निर्वाण रूप है सब तरह के पाखंड को सतगुरु जी ने नाश कर दिया सतगुरु जी सत चित और अनंद सरुप है जो अपने सिखों को चार पदार्थों की बक्शीश करते है ऐसे सतगुरु से बलिहारे जाइए जिनसे नाम पदार्थ मिलता है जो मनुष्य श्रद्धा सहित पूर्ण माशी वाले दिन सिमरन और भगति करता है वह अपनि सभी कुलों को पार कर लेता है श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को बताया कि हम आपको गुरु पुर्व मनाने की सारी विधि बताते है जिस से आप सभी का उधार होगा, गुरु जी ने फरमाया सच्चे हृदय के साथ गुरु जी का जस उच्चारण किया करो सभी प्रेमी मिल कर उस दिन आरती किया करो कथा सुन कर जो मनुख अपने घर जाता है उस के तीनों ताप निवृत हो जाते हैं, पूर्ण माशिया वाले दिन सिमरन भक्ति और सेवा करनी चाहिए लेकिन एक बात चेते रख्यो कि अपने मन मे इस कर्म का हंकार नहीं करना अपने इष्ट की पूजा करनी है फिर ही प्रभु की दरगाह में कबूल होगे हे प्यारे गुर सिखो जब सिख मड़िया और कबरा की पूजा करता है वह मनमुख मर के नरक में पड़ता है जब मनुख नंगा होकर इस्नान करता है उसकी की हुई भगति सिमरन ते सेवा सब व्यर्थ चले जाते है, उम्र कम हो जाती है जो पुरुष चार पदार्था की इच्छा रखता है वह पूर्ण सतगुरु जी की सेवा करे जो गुरसिख श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की कथा सुनता है और गुरबाणी का पाठ करता है उस के सारे कारज रास हो जाते हैं श्री गुरु नानक देव जी श्री गुरु अंगद देव जी और श्री गुरु अमरदास जी की भक्ति और सेवा करनी चाहिए श्री गुरु रामदास जी सोढ़ी वंस दे शिरोमणी है श्श्री गुरु अर्जन देव जी उनके सुयोग सुपुत्र है श्री गुरु हरगोविंद जी तेग के धनी सूरमे है जिन्होंने तर्कों की सैना का नाश किया, सातवे सतगुरु श्री हरि राय जी है श्री गुरु हरकृष्ण जी उनके समान आठवें सतगुरु जी है श्री गुरु तेग बहादर जी नौवें सतगुरु जी है जिनको सभी हिंद दी चादर कहते है दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी है जिन्होंने ने मुगल राज का नाश किया, जब गुरसिख एक अकाल पुरख को मन लगा कर के सिमरता है उस की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है हे गुरसिखों 10 गुरुओं को एक रूप करके जानो इस में रचक मात्र भी फर्क ना जानो गुरु को हरि का अवतार ही जानो सत्गुरा ने आप ऐसे वचन कहे है कि गुरु नानक देव गोविंद रूप इसलिए गुरुआ दे गुरपुर्व की महिमा बहुत भारी है एक बार नारद मुनि ब्रह्मा जी से कहन लगे कि हे स्वामी जी अपने श्रेष्ठ वचन उचार के बताओ कि कलयुग में कौन अवतार धारेंगे ब्रह्मा जी नारद मुनि जी से कहने लगे कि अगर आपको इन वचनों को सुनने की अभिलाषा है तो सुनो ब्रह्मा जी कहने लगे हे नारद मुनि आप अपने इस प्रश्न का उत्तर सुनना चाहते हो तो हम इसका उत्तर देते हैं श्री रामचंद्र जी के वंश में प्रभु आप गुरु रूप धार के प्रगट होगे श्री रामचंद्र जी के दो पुत्र थे एक लव और दूसरा कुश लव वंश में सोडी है और कुश वंश में बेदी हुए इस कुश के वंश में जगत के स्वामी प्रगट होगे उनका नाम नानक होएगा और वह परम सुखा के घर होगे जब 600 वर्ष कलयुग की उम्र होएगी तब कतक की पुण्या वाले शुभ दिन पूर्ण गुरु नानक देव जी अवतार धारण करेंगे हे नारद मुनि जो प्रमाण वेदों ने बताया है वह हमने आप बताया है द्वापर युग में व्यास ऋषि जी ने कथन किया है कि गुरु नानक देव जी नर स्वरूप होकर अवतार धारण करेंगे, पवित्र पुराण में व्यास जी ने गुरु की कौम की सारी कथा वर्णन की है कतक पुण्या को अवतार धार के श्री गुरु नानक देव जी सारी सृष्टि का भार हर लेंगे, लोगों को जल थल में रमे पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान देंगे, जीवों का कल्याण करेंगे और नाम का इस्नान दृढ करेंगे,10 रूपों में इस जगत में अवतार धारण करेंगे कोई स्वरूप रजो गुण वाला और कोई स्वरूप सतो गुण वाला होएगा ब्रह्मा जी ने जब नारद मुनि को ये वचन सुनाए तब नारद मुनि का हृदा शांत हो गया सो साध संगत जी इस लिए श्री गुरु नानक देव जी के गुर पुर्व वाले दिन जो मनुख या स्त्री सिमरन भगति और सेवा करता है उसका कल्याण हो जाता है सो इस तरह दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी के यह बचन सुन के सिख संगता के मन में निश्चय आ गया श्री गुरु नानक देव जी के गुर पुर्व वाले दिन आरती करनी बहुत जरूरी है जिसका बहुत वड्डा फल है गुरबाणी में ईश्वर की सिफत सलाह वर्णन की गई है गुरबाणी के शब्दों को समुंदर में निकले मोतियां के समान जानो जो पुरुष सतगुरु जी की बाणी को मन चित लाके पढ़ता सुनता है उसका जन्म मरण कट जाता है सतगुरु श्री गुरु नानक देव जी परम दयालु है जो अपने सेवका की लाज रखते है जो मनुख गुरु गुरु जपता है उस के सारे कारज सिद्ध हो जाते हैं
सो प्यारी साध संगत जी आप जी ने सर्वण किया है सिमरन भक्ति और सेवा करने का फल प्रसंग सुनाते हुई भूलों की शमा बक्शे जी ।
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